<p>नई पेंशन कर्मचारी एसोसिएशन द्वारा पुरानी पेंशन बहाली को लेकर 24 अक्टूबर को प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन करने जा रहे हैं। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने भी कर्मचारी एसोसिएश का समर्थन करते हुए सरकार से मांग की है कि नई पेंशन व्यवस्था को तुरंत खत्म कर पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर सभी वर्गों के कर्मचारियों को उनका पेंशन का अधिकार दिया जाए।</p>
<p>सीपीआईएम नेता संजय चौहान ने कहा कि अंर्तराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के दबाव में आकर सरकार आर्थिक सुधारों को लागू कर देश और प्रदेश में मज़दूर, किसान और कर्मचारियों विरोधी नवउदारवादी नीतियों को लागू कर रही है। नई पेंशन योजना भी इन्हीं नीतियों का परिणाम है। देश मे बीजेपी के नेतृत्व में तत्कालीन एनडीए की सरकार ने जनवरी, 2004 से नई पेंशन योजना को लागू किया था जबकि हिमाचल प्रदेश में इससे पूर्व ही 15 मई, 2003 में तत्कालीन बीजेपी की सरकार ने इसे प्रदेश में लागू कर कर्मचारियों के पेंशन के अधिकार को समाप्त कर दिया था। </p>
<p>उन्होंने कहा कि कर्मचारियों द्वारा समय समय पर इसको बदल कर पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग की लेकिन सभी सरकारों ने इसे बदलने की मांग को अनसुना किया और इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई। इससे स्पष्ट है कि दोनों पार्टियों की आर्थिक नीतियों में कोई भी अंतर नहीं है और जनविरोधी नवउदारवादी नीतियों की हिमायती है। इसका ज्वलंत उदाहरण त्रिपुरा में 2018 में बीजेपी की सरकार बनते ही सबसे पहला निर्णय वहां सीपीएम के नेतृत्व में वाम मोर्चा की सरकार द्वारा चलाई जा रही पुरानी पेंशन व्यवस्था को समाप्त कर नई पेंशन योजना को लागू किया गया।</p>
<p>देश मे पेंशन लागू करने के पीछे ऐतिहासिक कारण है। देश मे 1857 में स्वाधीनता संग्राम की शुरुआत के पश्चात तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने 1871 में देश में पेंशन योजना आरम्भ की थी और प्रथम विश्वयुद्ध और द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात इसमे वृद्धि और संशोधन किये गये। लेकिन उस समय देश गुलाम था और ब्रिटिश भी इसके महत्व को समझते थे। उसके पश्चात इसमें कई प्रकार के परिवर्तन और सुधार किये गए। लेकिन 1991 के पश्चात अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के दबाव में आकर सरकार द्वारा देश में आर्थिक सुधारों के एजेंडे को लागू करते हुए आज कर्मचारियों के पेंशन के अधिकार को समाप्त कर दिया गया है और इसे पूर्णतः बाज़ार की ताकतों के हवाले कर कर्मचारियों के साथ धोखा किया गया है। </p>
<p>सीपीएम सभी कर्मचारियों से आग्रह करती है कि सरकार की इन मजदूर, किसान और कर्मचारी विरोधी नीतियों के विरुद्ध लामबंद होकर इनको पलटने के लिए मिलकर संघर्ष करें। क्योंकि यदि इस नई पेंशन योजना को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना बहाल नहीं की गई तो समयबद्ध तरीके से जिन कर्मचारियों को अभी पुरानी पेंशन योजना के तहत पेंशन मिल भी रही है उसे भी सरकार समाप्त कर देगी। पार्टी इन जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध चलाए गए किसी भी आंदोलन व संघर्ष का सभी वर्गों के साथ सहयोग करेगी।</p>
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