विधानसभा के चुनाव नजदीक आ गए हैं और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह हर बार की तरह इस बार भी प्रदेश अध्यक्ष के पद से अपने किसी चहेते को फिट करने की कवायद में लग गए हैं। वीरभद्र सिंह लगातार सुखविंद्र सिंह सुक्खू को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाने की कोशिश में लगे हुए हैं। हालांकि, इस बार वे अपने इस मकसद में कामयाब होते नहीं दिख रहे हैं।
इससे पहले जब भी चुनाव हुए वीरभद्र सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष के पद पर अपने ही किसी खास को फिट करवाया। सुखविंदर सिंह सुक्खू ,ठाकुर कौल सिंह, विप्लव ठाकुर, नारायण चंद पराशर, सत महाजन ऐसे नाम हैं, जो प्रदेश अध्यक्ष रहे। लेकिन, इन सभी के साथ मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का आंकड़ा 36 वाला ही रहा। हर बार चुनावों से ठीक पहले वीरभद्र सिंह ने इन्हें हटाने की मुहिम छेड़ी, जिसमें हर कामयाब भी रहे।
लेकिन इस बार माजरा कुछ और ही नज़र आ रहा है। हिमाचल कांग्रेस के 17 ब्लॉक अध्यक्षों ने हाईकमान और नए प्रभारी को प्रदेश अध्यक्ष ना बदलने की बात कही है। इसके अलावा 6 विधायकों ने तो सीएम को ही हटाने के लिए हाईकमान को लेटर लिख दिया है। इसकी पुष्टि खुद सुक्खू ने की है। वहीं, इस लड़ाई में अब वीरभद्र सिंह के पुत्र और युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह भी कूद गए हैं। विक्रमदित्य का कहना है कि हारे-नकारे नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा।
इस बारे में हाईकमान की फीडबैक महत्वपूर्ण है। माना रहा है कि 10 दिन कांग्रेस के लिए निर्णायक रहेंगे, जिसमें यह देखना रोचक होगा कि वीरभद्र सिंह ने राजनीतिक शतरंज बिसात बिछाई है, उसमें कामयाब हो पाएंगे या नहीं।