CM के लिए खरीदी गई फॉर्च्यूनर Z-4 सुपर लग़्जरी कार, कीमत भी जान लीजिए

<p>मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की नई लग्ज़री कार फर्राटा भरने लगी है। फॉर्च्यूनर ज़ेड-4 एसयूवी सेग्मेंट की बेहतरीन मॉडल मुख्यमंत्री के लिए खरीद ली गई है। इसकी कीमत करीब 36 लाख रुपये है। गुरुवार को मुख्यमंत्री इसी कार में सवारी करते देखे गए। गाड़ी का पंजीकरण जिम्मा उपायुक्त कार्यालय शिमला सौंपा गया है।</p>

<p>मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की इस ल्गजरी वाहन के बाद बाकी मंत्रियों को भी नए वाहन जल्द मिल जाएंगे। बताया जा रहा है कि मंत्रियों के लिए भी फॉर्च्यूनर गाड़ी खरीदी जाएगी। इसके अलावा एसयूवी सेग्मेंट में भी दूसरे वाहन पर विचार किया गया है। माना जा रहा है कि मंत्रियों की गाड़ियों की कीमत भी 30 से 35 लाख के बीच में रहने वाली है।</p>

<p>दरअसल, मंत्रियों के लिए नई लग्जरी गाड़ियों की खरीद के पीछे पुरानी गाड़ियों के बेतहाशा इस्तेमाल का तर्क दिया जा रहा है। तर्क के मुताबिक पुराने वाहन 3 से साढ़े तीन लाख किलोमीटर चल चुके हैं. ऐसे में सरकार के पास सिर्फ नए वाहन खरीदने का ही विकल्प है।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>कर्ज में प्रदेश, सभी सरकारों ने खरीदे नए वाहन </strong></span></p>

<p>हिमाचल प्रदेश पर फिलहाल 49 हजार करोड़ के कर्ज तले दबा है। सत्ता में आने के बाद सभी ने अपने हिसाब से सरकारी संसाधनों का दोहन किया और नई खरीददारी की। सभी दलों के सत्ता में आने पर प्रदेश की वित्तीय स्थिति कुछ खास ठीक नहीं रही। लेकिन, बावजूद इसके किसी ने भी लग्जरी संसाधनों में कटौती पर कोई कदम नहीं उठाया।</p>

<p>चाहें पूर्व की धूमल सरकार हो या वीरभद्र सरकार। इनके कार्यकाल में भी नए वाहनों की खरीददारी हुई है। धूमल सरकार में मंत्रियों के लिए टोयटा एलटिस वाहन खरीदे गए। जबकि, यह परिपाटी वीरभद्र सरकार में भी जारी रही। अब इस दिशा में नई सरकार भी पिछली सरकारों के पदचिन्हों पर चलती दिखाई दे रही है।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>बीते 5 सालों में प्रदेश की वत्तीय हालत खस्ताहाल</strong></span></p>

<p>आंकड़ों पर गौर करें तो 5 सालों में प्रदेश की वित्तीय साख बेहद कमजोर हुई है। बीते 5 सालों में प्रति व्यक्ति पर कर्ज का बोझ 50 फीसदी तक बढ़ गया है। मीडिया में छपी खबरों की मानें तो राज्य सरकार कर्ज का 31 फीसदी हिस्सा आगामी 5 सालों में चुकाना है। जबकि, सरकार के पास आय के श्रोत कम और कर्ज का जखीरा काफी ज्यादा है।</p>

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