कोरोना संकट में हुए स्वास्थ्य विभाग घोटाले को लेकर कांग्रेस का प्रदेश सरकार पर हमला लगातार जारी है। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य घोटाले को दफन करने के लिए कोर्ट में पक्ष सही तरीके से पेश नहीं किया जिस वजह से निदेशक, स्वास्थ्य सेवायें, को जमानत मिल गई। यही नहीं सरकार ने जांच को स्वास्थ्य निदेशक की गिरफ्तारी से आगे नहीं जाने दिया और मामले में लीपापोती कर डाली। अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार के रवैये को देखते हुए कांग्रेस विधायक दल की एक बैठक शिमला में बुलाई गई है जिसमें अब पूरे प्रकरण में निर्णायक फैसला लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि विश्व इस समय सबसे बड़े संकट के दौर से गुज़र रहा है और हर जगह मौत मंडरा रही है, इस दौर में स्वास्थ्य विभाग में हुए घोटाले के इस प्रकरण में दोषियों के विरूद्ध देशद्रोह की धाराओं के तहत मामला चलाना चाहिए और प्रदेश सरकार को सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। कांग्रेस ने फिर सवाल किया कि अगर स्वास्थ्य घोटाले के लिए पार्टी प्रधान जिम्मेवार है और उनका इस्तीफा हो गया है तो प्रदेश की जनता को यह तो स्पष्ट किया जाए कि स्वास्थ्य मंत्री कैसे जिम्मेवार नहीं है? उन्होंने कहा कि संकट काल में पीपीई किट्स, सैनिटाइजर एवं मास्क खरीद में घोटालों के लिए भाजपा सरकार को प्रदेश की जनता कभी माफ नहीं करेगी। यह एक आपराधिक मामला है और उसमें माफी की कोई गुंजाइश नहीं है। इस पूरी खरीद प्रक्रिया पर सवाल खड़ा हुआ है।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कोविड काल की सारी खरीद को सार्वजनिक किया जाए। कोविड काल में सरकार ने कितना धन इक्ट्ठा किया और उसका ब्यौरा क्या है और बिना टैंडर की खरीद में किन-किन लोगों पर रियायत लुटाई गई? स्वास्थ्य निदेशक से डील कर रहे दूसरे व्यक्ति की गिरफ्तारी क्यों नहीं हो पाई? जाहिर है कि मामले को दफन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सैनिटाइजर खरीद में भी एक बाबू को सस्पैंड कर मामला दबाया जा रहा है। इस सरकार में घोटालों के तमाम तथ्य छुपाए जा रहे हैं। इसलिए हम लगातार हिमाचल प्रदेश विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं जिसमें भाजपा के भी आठ विधायकों ने हमारे साथ दस्तखत किए थे और विधानसभा अध्यक्ष को ज्ञापन दिया था। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि भाजपा में गुप्त बैठकों का दौर शुरू हो गया है और अढ़ाई साल में ये घोटाले और गुप्त बैठकें भाजपा की पतन की शुरूआत है। भाजपा विधायकों के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखना भी इसी कड़ी का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि भाजपा के अढ़ाई साल स्वास्थ्य घोटालों में निकल गए। पहले पत्र बम में भी स्वास्थ्य घोटालों का उल्लेख था जिसमें पूर्व मंत्री रविन्द्र सिंह रवि का मोबाइल पुलिस द्वारा जब्त किया गया लेकिन जांच रफा-दफा कर दी गई। उसके बाद सीएमओ के माध्यम से सवा सौ करोड़ की स्वास्थ्य खरीद पर विधानसभा में हंगामा हुआ। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री भी इसी दौरान बदल दिए गए और उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बना दिया गया। अब पार्टी अध्यक्ष को स्वास्थ्य घोटाले में हटाने पर बवाल मचा।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा की पीपीई किट्स की जगह रेनकोट सप्लाई की बातें तक आई इसलिए इस पर सरकार की जवाबदेही बनती है। उन्होंने कहा कि अब अफसरशाही को ताश के पत्तों की तरह फेंटा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने पहले अपने प्रधान सचिव को हटाया था अब निजी सचिव हटाए गए हैं। मुख्यमंत्री स्पष्ट करेंगे कि निजी सचिव हटाने की क्या वजह है? अफसरशाही को बदलकर जनता का ध्यान बांटने की कोशिश की जा रही है जो सिरे नहीं चढ़ेगी। सरकार यह भी बताए कि क्या टायर्ड-रिटायर्ड को मुद्दा बनाने वाली भाजपा ने सिद्धांत बदल दिए हैं और अपने कार्यलय में रिटायर्ड अफसर बैठाना क्या अब जायज हो गया है?