<p>हिमाचल विधानसभा चुनाव 2017 के नतीजे बेहद चौंकाने वाले रहे। इस चुनाव में बड़े-बड़े दिग्गज अपनी सीट गवां बैठे। नगरोटा बगवां के आर्किटेक्ट माने जाने वाले जीएस बाली को भी वहां की जनता ने मामूली अंतर ही सही लेकिन हरा दिया। हिमाचल कैबिनेट के इस कद्दावर मंत्री को जहां 31,039 वोट मिले, जबकि इनके प्रतिद्वंदी को 32,039 वोट मिले।</p>
<p><span style=”color:#d35400″><strong>वीरभद्र कैबिनेट का सफाया!</strong></span></p>
<p>इस चुनाव में वीरभद्र कैबिनेट में शामिल 5 वरिष्ठ नेता चुनाव में हार गए। जीएस बाली, कौल सिंह ठाकुर, ठाकुर सिंह भरौरी, सुधीर शर्मा और प्रकाश चौधरी अपनी सीट नहीं बचा पाए। इन सभी मंत्रियों में कांटे की टक्कर जीएस बाली के विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिली। जीएस बाली कुल मिलाकर 1 हजार वोटों से हारे।</p>
<p><span style=”color:#d35400″><strong>नगरोटा में काउंटिंग सांप-सीढ़ी का खेल</strong></span></p>
<p>वोटों की गिनती के दौरान नगरोटा बगवां में कांग्रेस और बीजेपी समर्थक सुबह से लेकर शाम तक अपने नाखुन निपोरते रहे। कभी कांग्रेस को वोटों में बढ़त मिलती तो कभी बीजेपी को। एक वक़्त ऐसा आया कि जीएस बाली काफी लंबे समय तक बीजेपी प्रत्याशी पर बढ़त बनाए रखे। लेकिन, यह बढ़त बड़े मार्जिन की नहीं था। आखिर में शाम ढलते-ढलते बीजेपी प्रत्यशी अरुण कुमार ने भी कुछ वोटों की बढ़त हासिल कर ली। इसके बाद फेज-वाइज काउंटिंग में सांप-सीढ़ी का खेल चलता रहा। जिसकी बढ़त हो उनके समर्थक नारेबाजी करते।</p>
<p><strong><span style=”color:#d35400″>बड़े नेता गवां चुके हैं अपनी सीट </span></strong></p>
<p>नगरोटा बगवां सीट की हर तरफ चर्चा है। जीएस बाली के इस सीट पर पिछड़ने के साथ ही प्रदेश के अलावा दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा शुरू हो गई। दरअसल, बाली को विकास-पुरुष की तरह देखा जाता था। ख़ासकर पिछड़े इलाके नगरोटा बगवां में विकास का जो उन्होंने मॉडल पेश किया था, उससे देश के दूसरे राजनीतिज्ञ भी प्रभावित थे। लेकिन, उनकी हार ने सभी को यहां के राजनीति पर मंथन करने के लिए मज़बूर कर दिया।</p>
<p>हालांकि, ऐसा नहीं कि हिमाचल की जनता ने सिर्फ जीएस बाली से ही मुंह मोड़ा हो। बल्कि, यहां तो बीजेपी के सीएम कैंडिडेट प्रेम कुमार धूमल भी अपने सीट नहीं बचा पाए। अगर हिमाचल और ख़ासकर कांगड़ा-हमीरपुर बेल्ट की वोटिंग सायकॉलजी का अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि यहां कि जनता ने उन बड़े नेताओं को हरा दिया है, जो सीएम पद के दावेदार या उम्मीदवार रहे हैं। इससे पहले जनता ने 1993 में शांता कुमार को सुलह से शिकस्त दे दी। धूमल भी इससे पहले चुनाव में हार का सामना कर चुके हैं। इसी कड़ी में एक और कद्दावर नेता जीएस बाली का भी नाम शामिल हो गया है। बाली भी सीएम पद के दावेदार माने जा रहे थे।</p>
<p><span style=”color:#d35400″><strong>कम मार्जिन से जीते कांग्रेस के बड़े चेहरे</strong></span></p>
<p>हिमाचल चुनाव में बीजेपी की तुलना में कांग्रेस की हालत वाकई में बेहद ख़राब रही है। जिस तरह से कैबिनेट का ही सफाया हो गया है, इसे देखते हुए इस बात की पुष्टि हो जाती है कि लोग ने लीक से हटकर वोट दिया है।</p>
<p>इसके अलावा अगर वीरभद्र सिंह और उनका कुनबा छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस के अधिकांश बड़े नेता मामूली वोटों के अंतर से जीत हासिल कर पाने में सझम हो पाए हैं। इनमें धनीराम शांडिल्य 671 वोटों से, जगत सिंह नेगी 120, सीपीएस आईडी लखनपाल 439, आशा कुमारी 556 और सुजान सिंह पठानिया 1284 वोटों से जीत पाए।</p>
<p><span style=”color:#d35400″><strong>चुनाव हारा हूं, लेकिन लोगों के लिए करता रहूंगा काम </strong></span></p>
<p>हार सुनिश्चित होने के बाद जीएस बाली ने अपने समर्थकों का धन्यवाद किया और साथ ही अपने प्रतिद्वंदी को जीत की बधाई दी। उन्होंने कहा कि भले ही वह चुनाव हार गए हैं लेकिन नगरोटा के लोगो के हित के लिए वह काम करते रहेंगे।</p>
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