हिमाचल प्रदेश के परिवहन मंत्री जीएस बाली मंडी जिले के कोटरोपी में हुए हादसे पर खासे आक्रोश में हैं। समाचार फर्स्ट ने जीएस बाली से वर्तमान हादसे के जिम्मेदार कारकों पर सवाल पूछे। जिस पर बाली ने बड़ी ही बेबाकी से कहा कि चूंकि यह मामला प्राकृतिक आपदा का है, लेकिन ऐसा नहीं है कि आज के दौर में इंसान आपदाओं के प्रकोप से ना बच सके। उनके मुताबिक हिमाचल प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से हाई-रिस्क जोन में है। इस लिहाज से हमें तकनीक की मदद से इस आपदा को कम करने की जरूरत है।
हादसे में हुए नुकसान का उन्होंने तीन कारणों स्पष्ट किए। जिनमें पहाड़ों में रासायनिक क्रिया-कलाप का होना, रोडसाइड तथा जंगलों में आम, बरगद समेत गहरी जड़ों वाले पेड़ों का प्लांटेशन नहीं होना और टेक्नोलॉजी की भारी कमी।
जीएस बाली का कहना है कि मंडी जिला के बड़े हिस्से में पहाड़ों के भीतर केमिकल-रिएक्शंस हो रहे हैं और ये इलाके हाई-रिस्क जोन में है। लेकिन, ऐसा नहीं कि ख़तरे को देखते हुए मुंह मोड़ लिया जाए। इसके लिए कायदे से वैज्ञानिकों की कुशल टीम को इस रिपोर्ट बनाने को कहा जाए और तत्काल प्रभाव से उनके सुझावों पर अमल करने की जरूरत है।
इसके साथ ही सड़क किनारे और जंगलों में मज़बूत टी-प्लांटेशन करने की जरूरत है। उन्होंने कहीं ना कहीं अपनी ही सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आज तक इस मसले पर काम नहीं हो पाया है।
जीएस बाली ने टेक्नोलॉजी को ऐसी आपदाओं से निपटने का एक बेहतर हथियार बताया। उन्होंने कहा कि आज कई विकसित देश अपने पहाड़ी क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के जरिए नागरिकों की रक्षा कर पा रहे हैं। लिहाजा, हिमाचल में होने वाली आपदाओं से भी तकनीक के जरिए बचा जा सकता है। इसके लिए जरूर है कि हम आपदा संबंधी तकनीक को विशेष तौर पर मजबूत करें।
समाचार फर्स्ट ने जीएस बाली से उनकी ही पार्टी के सत्ता में होने का हवाला दिया। इस पर उनका कहना था कि वर्तमान समय किसी भी तरह की राजनीति का नहीं बल्कि संवेदना का है। लोगों में यह भरोसा देने का है कि उनकी जान-माल की रक्षा के लिए सरकार तत्पर है। आज जिन परिवारों के प्रियजन हादसे के शिकार हुए हैं उनका दुख कोई नहीं बांट सकता। लेकिन, हमारी कोशिश है कि हम उनके दुख को जितना संभव हो सके कम कर सकें।