Follow Us:

मानसून सत्र: गुड़िया और होशियार सिंह मामले पर विपक्ष ने सरकार को घेरा

पी. चंद, शिमला |

विधानसभा सभा के मानसून सत्र में गुड़िया मामले में पक्ष-विपक्ष की कहासुनी के बीच विपक्ष के नेता प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि किसी भी सरकार का कर्त्तव्य जनता की जान माल और सम्मान की रक्षा करना होता है। इसकी रक्षा करने में सरकार नाकाम रही है। यहां तक कि बच्चियों की  इज्ज़त की सुरक्षा करने में भी सरकार नाकाम रही है।

धूमल ने कहा कि सीबीआई जांच भले ही चल रही है, लेकिन मामले में जिस तरह लीपापोती हुई उस पर चर्चा होनी चाहिए। प्रदेश में होशियार सिंह का कत्ल और उस मामले पर सुस्त रवैया, कुल्लू में रेप, तीसा में रेप, रोहड़ू में दोहरा कत्ल, सोलन में कत्ल होना महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिनपर चर्चा होनी चाहिए।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि प्रश्नकाल के बाद इस पर चर्चा हो सकती है। अभी तक प्रस्ताव सरकार को भेजा है जब सरकार से जबाब आ जायेगा तो चर्चा हो सकती है। इसलिए विपक्ष सदन की कार्यवाही चलने दे। वैसे भी इस चर्चा को नियम 67 के तहत न लाकर अन्य नियम के तहत चर्चा में लाया जा सकता है।

इसी बीच स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने कहा कि कानून व्यवस्था के ऊपर कल यानी बुधवार को भी चर्चा हो सकती है। पहले दिन नियम 130 के तहत बरसात से हुए नुकसान पर चर्चा होना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सरकार चर्चा से भाग नहीं रही है और विपक्ष के हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार है। संसदीय कार्य मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि बरसात के नुकसान के चर्चा भी विपक्ष ने ही मांगी है। लेकिन, अब विपक्ष अपना एजेंडा बदल रहा है। 

इस पर धूमल ने स्पीकर को सुझाव दिया कि यदि सरकार जवाब देने के लिए तैयार है तो फिर चर्चा होनी चाहिए। इस पर पहले विपक्ष आपस में बैठकर बात कर ले। इस सुझाव पर कौल सिंह की सहमति के बाद। स्पीकर ने सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी।

सदन में CBI की कार्रवाई का मामला भी गूंजा 

विपक्ष के नेता प्रेम कुमार धूमल ने सरकार से सदन के अंदर पूछा कि मुख्यमंत्री की फेसबुक पर जो तस्वीरें अपलोड हुईं उनके घर सीबीआई ने छापेमारी क्यों की। इसके अलावा मुख्यमंत्री के आईटी सेल के जुड़े लोगों से सीबीआई पूछताछ क्यों कर रही कर रही है? पुलिस ने किसके दबाव में मामले की सही जांच नहीं की और अब पुलिस कर्मियों से सीबीआई को पूछताछ की जरूरत क्यों पड़ी? इन सब चीजों से जाहिर होता है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज़ नहीं रह गई है।