<p>हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी चीफ सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर पलटवार किया है। सुक्खू ने कहा कि वीरभद्र एक पावर ड्रिवन पॉलिटिशियन हैं, लेकिन पार्टी में रहकर उनकी राजनीति हमेशा खुद को मजबूत करने की ही रही। वीरभद्र सिंह 6 बार मुख्यमंत्री रहे, लेकिन उनके कार्यकाल के बाद एक बार भी कांग्रेस का मिशन रिपीट नहीं हुआ।</p>
<p>सुक्खू ने कहा कि चुनावों में हार-जीत लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन मेरी वजह से नहीं, बल्कि वीरभद्र की वजह से विधानसभा चुनावों में हार मिली है। राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें चुनावों के वक्त हिमाचल की कमान सौंपी थी और सीएम का चेहरा घोषित किया था। यहां तक कि 56 प्रत्याशियों के टिकट उनके द्वारा तय किये गए थे, इन सब के बावजूद भी कांग्रेस का हार का सामना क्यों करना पड़ा?</p>
<p>पिछले 35 से 40 सालों से वीरभद्र विरोध की राजनीति करते आ रहे हैं। चाहे वो विरोध रामलाल ठाकुर का हो, पंडित सुखराम का हो, विद्या स्टोक्स का हो, मनकोटिया का हो या फिर मेरा हो। बीते लोकसभा चुनाव में चारों उम्मीदवार उनकी मर्जी के थे, फिर भी सभी सीटें हारी। सुजानपुर और भोरंज विधानसभा उपचुनाव में उनकी पसंद के उम्मीदवारों को हार मिली। यहां तक कि शिमला नगर निगम चुनाव में शिमला ग्रामीण के तीनों वार्ड में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा।</p>
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<p>सुक्खू ने कहा कि जो 56 टिकट वीरभद्र की मर्जी से बांटे गए थे उनमें केवल 15 पर ही जीत मिली। संगठन के कोटे में तो सिर्फ 12 टिकट मिले और उसमें से 6 उम्मीदवार जीतकर विधायक बने हैं और इन सीटों पर कांग्रेस 30 साल से हार रही थी। सुक्खू ने कहा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस चारों सीटों पर न केवल बीजेपी को कड़ी टक्कर देगी, बल्कि जीत भी दर्ज करेगी। इसके लिए वीरभद्र सिंह को भी बयानबाजी से बचकर संगठन के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरना होगा। </p>
<p><span style=”color:#e74c3c”><strong>सुक्खू ने वीरभद्र से पूछे सवाल…?</strong></span></p>
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<li>वीरभद्र बताएं कि ये कहां का न्याय है कि कांग्रेस के कार्यक्रमों में आप कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की आलोचना करते हैं, जबकि बीजेपी के सीएम की तारीफ…?</li>
<li>हर चुनाव सीएम रहते आपकी अध्यक्षता में हुआ। गवर्नेंस चुनाव में बड़ा मुद्दा रहती है, सरकार के काम पर वोट पड़ता है तो फिर संगठन को दोष क्यों..?</li>
<li>किसी एक व्यक्ति पर हार का ठीकरा फोडऩा ठीक नहीं। क्या गुडिय़ा प्रकरण और होशियार सिंह हत्याकांड ने सरकार की साख पर बट्टा नहीं लगाया..? क्या इसका नुकसान कांग्रेस को चुनाव में नहीं हुआ..?</li>
<li>राहुल गांधी की मंडी रैली में आया राम, गया राम कहकर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम की बेइज्जती की गई, जिससे वह और उनके मंत्री सपुत्र कांग्रेस छोड़कर गए। क्या इससे मंडी की सभी दस सीटें नहीं हारी..?</li>
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