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BJP नेताओं में उठापटक या कोई रणनीति?, CM के साथ कांगड़ा के नेताओं की विशेष बैठक

पी. चंद |

कोरोना महामारी के बीच बीजेपी में सरगर्मियां बढ़ने लगी है। एक तो सरकार में 3 मंत्री और पार्टी अध्यक्ष की जगह खाली चल रही है तो दूसरी ओर सबसे बड़े जिले कांगड़ा को तरजीह न मिलने पर नेता भी नाराज़गी जाहिर कर रहे हैं। पिछले कल भाजपा विधायक दल की बैठक 11 बजे तक चलती रही लेकिन किसी भी विषय पर कोई आख़िरी निर्णय नहीं आया। अब जिलावार नेताओं-मंत्रियों के साथ वन टू वन बैठकें करने की बात कही जा रही है।

बताया जा रहा है कि ये जिला वार बैठकें कोविड काल में काम करने के विषयों से संबंधित सलाह-मशवरों के लिए हो रही है। लेकिन अंदर की माने तो सिर्फ कांगड़ा के नेताओं से ये बैठक होनी है क्योंकि यहां सबसे बड़ा जिला होने के बावजूद नेताओं के साथ-साथ जनता की अनदेखी हो रही है। विपिन परमार को हटाए जाने से उनके समर्थक ख़ासे नाराज़ नज़र आ रहे हैं। कांगड़ा में अब बीजेपी के पास अब कोई बड़ा चेहरा भी नज़र नहीं आ रहा जिसके नेतृत्व में सरकार कोई निर्णय ले सके।

लिहाज़ा उद्योग मंत्री से बारे में बातचीत की गई तो उनके तेवर काफ़ी गुस्सैल भरे नज़र आए और उन्होंने कहा कि क्या नेता बैठ नहीं सकते। पार्टी को लेकर कई तरह के काम वगैराह होते हैं। मंत्री सरवीण चौधरी ने साफ कहा कि जिला वार मीटिंग हो रही है। सबके सलाह मशवरे और सब अपनी बात रख रहे हैं। जो भी आगामी निर्णय होंगे सबके सामने जरूर आएंगे।

वहीं, विधायक रमेश ध्वाला ने एक बार फ़िर मीडिया के सामने पोल खोल दी। उन्होंने पार्टी के कामों के साथ-साथ ये भी स्वीकार किया कि कांगड़ा को तरजीह देने पर बात चल रही है। सभी नेताओं को अपने बात रखने का अधिकार है और हमने भी अपनी बात रखी। सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सूट तो कई लोगों ने सिलवा रखे हैं लेकिन अभी तक वे काम नहीं आए। सरकार और हाईकमान जो तय करेगा वे सोच समझकर ही करेगा।

ग़ौरतलब है कि कोरोना काल में सरकार एक तरह से आधी अधूरी चल रही है। मंत्रियों के पद भरने की बात पिछले साल की है लेकिन अभी तक पद नहीं भरे गए। कोरोना जैसे महामारी के बीच स्वास्थ्य मंत्री का पद ख़ाली रहा और मुख्यमंत्री ने इसकी देख रेख की। यही नतीजा है कि स्वास्थ्य विभाग में कई घोटाले भी सामने आए। इन सब के बीच सरकार और बीजेपी की काफी खिली भी उड़ी जब बिंदल ने किन्हीं कारणों की वज़ह से इस्तीफा दिया। अब सरकार एक बार फ़िर सभी नेताओं को ध्यान में रखते हुए हर काम करना चाह रही है लेकिन आपसी जंग और उठापटक के चलते अभी तक कोई फैसला नहीं आया।