कोरोना काल में बंद की विधायक निधि पर नेता प्रतिपक्ष ने सवाल उठाए हैं। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने विधायक निधि रोक कर विधायकों के अधिकारों पर जानबूझ कर कुठाराघात किया है। कोविड काल में विधायक निधि बन्द करने की सरकार की मन्शा राजनैतिक साबित हुई है। जयराम सरकार ने विधायकों के स्वाभिमान को अपने समय में जबरदस्त नुक्सान पहुंचाया है ।
अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार बताए कि अन्य किन राज्यों में विधायकों की पूरी विधायक निधि पर हथियार चलाया गया है ? विधायकों की संस्था एक संवैधानिक संस्था है। जब सरकार प्रदेश में चेयरमैनों की भारी भरकम फौज खड़ी कर रही है और रोजाना नई नियुक्तियां हो रही है तो विधायकों की निधि काटना कहां तक वाजिब है ? सरकार ने तो विधायकों को पहले से आवंटित किश्त भी वापस ले ली, यह कहां तक न्यायोचित है ?
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार ने प्रदेश में जब भारी भरकम पंचायतों का गठन अपनी राजनैतिक सुविधा के मुताबिक कर दिया और नई पंचायतों पर करोड़ों रूपया खर्च होगा तो सरकार किस मुंह से विधायकों की निधि रोक सकती है ? सरकार का हर फैसला तर्कसंगत होना चाहिए । उन्होंने दलील दी कि सरकार नए नगर निगम और नगर पंचायतें जब बना रही है तो विधायक निधि में कटौती को कैसे सही ठहराती है ? पिछले दिनों कांग्रेस और भाजपा के कई विधायक इस सिलसिले में इकट्ठे हुए थे लेकिन सरकार ने भाजपा विधायकों को जवाब तलब कर दिया।
सीएलपी लीडर ने कहा कि मंत्रिमंडल में हर रोज नए संस्थान खोल रहे हैं। अफसरशाही के हित में नए नए पद सृजित कर कोष पर बोझ डाला जा रहा है । सरकार लगातार खुले दिल से कर्जें लेकर राजनैतिक हसरतें पूरी कर रही है, तो क्या कोविड काल में एक साथ कटौती सिर्फ विधायक निधि की ही बनती है ? जबकि यह पैसा विधायकों को नहीं मिलता… अलबता गांव के विकास के छोटे-छोटे कामों के लिए खर्चा जाता है । मुख्यमंत्री ने इस पर रोक लगाते हुए यह कहा था कि जल्द ही इस पर पुर्नविचार कर जारी कर देंगे, तो क्या सरकार ने पुर्नविचार किया ?
नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री से कहा कि विधायकों का स्थान महत्वपूर्ण है और इसकी मजबूती के लिए सरकार क्या करती आई है ? उन्होंने दलील दी कि अब पहली दफा हालत ऐसे कर दिए हैं कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों के दौरों की सूचना तक विपक्षी विधायकों को नहीं दी जाती और राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय समारोह में अदब से नहीं बुलाया जाता । कई बार तो राहगीरों के हाथ में विधायकों के कार्ड भेजने से भी गुरेज नहीं किया जाता है। विधानसभा हल्कों में विधायकों की जगह हारे, नकारे औऱ असवैंधानिक लोग सरकारी बैठकें ले रहे हैं । विधायकों की नाम पटिकाएं जो विधान सभा हल्कों में तोड़ी गई थी, उस पर मुख्यमंत्री के सदन में आश्वासन के बावजूद बदलने के लिए प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाए ।
उन्होंने कहा कि कोविड काल में हमारे विधायकों ने तत्परता से काम किया लेकिन विधायक निधि के अभाव में भूमिका निर्वहन में दिक्कत आ रही है और इससे अफसरशाही को ही बढ़ावा मिला है । हाल ही में अफसरशाही ने विधायकों के पुरानी मंजूरियों को डाईवर्ट करने के अधिकार पर भी रोक लगा दी है इसका भी विरोध किया जाएगा। उन्होंने अफसोस जताया कि विधायकों को नीतिगत फैसलों की सरकार औऱ प्रशासन से कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि विधायकों ने अपना वेतन कोविड के लिए दिया है। लेकिन निधि जनता के कामों की है इसलिए सरकार तत्काल प्रभाव से विधायकों की विधायक निधि जारी करे।