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कांग्रेस अधिवेशन: शिमला से लोकसभा कैंडिडेट पर चर्चा, तैयार की रणनीति

पी. चंद |

कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में बीजेपी को चित्त करने के रणनीति बनानी शुरू कर दी है। इस कड़ी में गुरुवार को शिमला में कांग्रेस का एक दिवसीय अधिवेशन हुआ, जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा हुई। अधिवेशन के दौरान प्रभारी रजनी पाटिल ने संसदीय सीट शिमला से जिताऊ उम्मीदवार पर सुझाव भी मांगे और इसपर चर्चा भी हुई। बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ प्रदेश अध्यक्ष भी मौजूद रहे।

अधिवेशन के दौरान पार्टी पदाधिकारियों और जमीनी स्तर पर जुड़े कार्यकर्ताओं से लोकसभा चुनाव को लेकर फीडबैक लिया गया। शिमला संसदीय क्षेत्र के जिला अध्यक्षों, महासचिवों, ब्लॉक अध्यक्षों, महासचिवों और धरातल से जुड़े कार्यकर्ताओं के साथ पाटिल ने चुनाव के मद्देनजर चर्चा की। कार्यकर्ताओं से चुनावी मुद्दे भी पूछे गए। शक्ति ऐप पर पंजीकरण का कार्य और तेज करने के निर्देश पाटिल ने दिए।

'मोदी और बीजेपी सांसद से मांगा जाएगा हिसाब'

प्रदेश कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल ने कहा कि कांग्रेस चुनावी वायदों के पूरा न होने को लेकर बीजेपी पर हमलावर रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद से सवाल पूछे जाएंगे। सांसद से पूछा जाएगा कि वे अपने संसदीय क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्रों में कितनी बार गए। संसद में कितने सवाल उठाए, सांसद निधि कहां-कहां स्वीकृत की और कितनी खर्च हुई। पीएम से सवाल पूछा जाएगा कि उड़ान योजना के तहत हिमाचल प्रदेश के कितने चप्पल वालों ने हवाई जहाज का सफर किया।

'वादाखिलाफी रहेगी चुनावी मुद्दा'

कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रदेश के साथ की वादाखिलाफी को कांग्रेस मुद्दा बनाएगी। कांग्रेस कार्यकर्ता घर-घर जाकर केंद्र औऱ प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों से लोगों को अवगत कराएंगे। आसमान छूती महंगाई से जनता परेशान है औऱ चुनावी वायदे जुमला बनकर रह गए हैं।

ये रहेंगे शिमला के मुख्य मुद्दे…

. सेब उत्पादक किसानों को राहत देने के लिए सेब पर आयात शुल्क क्यों नहीं बढ़ाया गया
. गिरी पार क्षेत्र के लोगों को एसटी का दर्जा देने का वायदा क्यों नहीं हुआ पूरा
. सोलन में टमाटर आधारित उद्योग लगाने की घोषणा पूरी क्यों नहीं हुई
. औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भाजपा सरकार ने ठोस कदम क्यों नहीं उठाए
. दलितों पर भाजपा के सत्ता में आने के बाद अत्याचार बढ़े, सरकार मूकदर्शक क्यों बनी हुई है