विधानसभा चुनावों में हार बाद कांग्रेस बेशक लोकसभा चुनावों में फतह करने के दावे कर रही हो। लेकिन, कांग्रेस में आपसी फूट के चलते क्या ये संभव है कि संसदीय क्षेत्र की चारों सीटें कांग्रेस की झोली में जाएं…??
दरअसल, शनिवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह ने धर्मशाला में चंबा-कांगड़ा क्षेत्र की बैठक की, जिसमें पार्टी के कई वरिष्ठ नेता नदारद रहे। सुजान सिंह पठानियां, आशा कुमारी, पूर्व मंत्री जीएस बाली को पार्टी की बैठक में नहीं आमंत्रित किया गया। यही नहीं, बैठक से जिला अध्यक्ष समेत कई नेता और कार्यकर्ता भी नदारद रहे और बस कुछ ही कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ बैठक को निपटा दिया गया। पार्टी की बैठक में बड़े नेताओं को न बुलाना अभी से कांग्रेस की स्थिति को बयां करता नज़र आ रहा है।
चोरी से पारित हुए प्रस्ताव!
मिली जानकारी के मुताबिक, वीरभद्र सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में चोरी-छिपे 2 प्रस्ताव भी पारित किए गए। हालांकि, बैठक में अनाउंस तो किया गया, लेकिन ये कब बने और लिखे गए इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं थी। इनमें पहला प्रस्ताव ये है कि जो प्रदेश भर में कांग्रेस ने हर जिले में 4 संगठनात्मक जिले बनाए हैं, उन्हें भंग कर एक ही जिला बनाया जाए और एक ही अध्यक्ष हो। दूसरे प्रस्ताव में लोकसभा चुनावों में जल्द प्रत्याशी के नाम घोषित करने और चुनावों में कांग्रेस को मिलकर जिताने का प्रस्ताव है।