<p>रोहतांग टनल के उद्घाटन के बाद प्रदेश कांग्रेस ने प्रदेशवासियों और ख़ासकर लाहौलियों को बधाई दी। इसके साथ ही कांग्रेस प्रधानमंत्री के दौरे पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि इस बार भी प्रधानमंत्री मोदी प्रदेश के लोगों को निराश करके वापस लौट गए। उनका ये दौरा पूरा तरह राजनीतिक साबित होता है। प्रदेश को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री इस कोरोना काल मे विकास के लिए कोई बड़ा आर्थिक पैकज देते, पर वह उम्मीदें धरी की धरी रह गई।</p>
<p>मुख्यमंत्री का यह कहना कि हिमाचल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिल मे बसता है, जो की बड़ा झूठ साबित हुआ है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर प्रधानमंत्री के समक्ष अपनी कोई भी मांग प्रभावी ढंग से नहीं रख पाये। इस सुंरग के निर्माण में कांग्रेस का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसे मंच से याद किया जाना चाहिए था। लेकिन कांग्रेस तो दूर यहां तक कि इस सुरंग निर्माण में मारे गए श्रमिकों को याद तक नहीं किया गया।</p>
<p>कुलदीप राठ़ौर ने कहा कि रोहतांग टनल जो अब अटल टनल के नाम से जानी जाएगी के निर्माण को जिसे प्रधानमंत्री अपनी सरकार की उपलब्धि बताने में लगे रहें, वह पूरी तरह तथ्यों से परे है। 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस सुरंग निर्माण को अपनी सैधांतिक मंजूरी दी थी और 2010 में यूपीए सरकार ने इसके निर्माण के अंतिम प्रारूप को स्वीकार करते हुए यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 28 जून 2010 को इसकी आधारशिला रखी थी।</p>
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<p>उन्होंने कहा कि बेहतर होता कि प्रधानमंत्री अपने संबोधन में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी का भी इसके निर्माण में योगदान को याद करते। प्रधानमंत्री इसके इतिहास को न तो झुठला सकते और न ही नकार सकते है। प्रधानमंत्री देश के विकास में कांग्रेस के योगदान को झुठलाने का नाकाम कोशिश कर रहें है। देश के लोग जानते है कि आज देश जिस प्रगति के मुकाम पर खड़ा है उसमें कांग्रेस का क्या योगदार रहा है। प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। प्रधानमंत्री देश को गुमराह नहीं कर सकते।</p>
<p><span style=”color:#e74c3c”><strong>कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रखा गया दूर</strong></span></p>
<p>राठौर ने लाहौल के सीसु में आयोजित कार्यक्रम से कांग्रेस नेताओं को दूर रखने की आलोचना की। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यक्रम में इस प्रकार का भेदभाव जनता के साथ अन्याय है। लाहौल घाटी के लोगों को आज इस सुरंग के चालू हो जाने का एक बड़े पर्व से कम नहीं था, लेकिन सरकार ने इसे भाजपा का कार्यक्रम बना कर इसका राजनीतिकर्ण कर दिया। प्रधानमंत्री जिस नए कृषि कानून की बात कर रहें है उससे किसानों और बागवानों का कोई भला होने वाला नहीं। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। प्रधानमंत्री को प्रदेश के साथ पूर्व में किये गए अपने उन वायदों पर भी बोलना चाहिए था जो आज दिन तक पूरे नहीं हुए।</p>
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