<p>जयराम सरकार में मंत्री सुरेश भारद्वाज ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को यह सच स्वीकार करने के लिए धन्यवाद दिया है कि कांग्रेस पार्टी में बिखराव है। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री इसीलिए कांग्रेसियों से सभी मतभेद भूलकर एकजुट होने की अपील कर रहे हैं। जबकि कांग्रेस के अन्य नेता सार्वजनिक मंचों पर एक-दूसरे को कोसने के बावजूद यह कहते नहीं थकते कि पार्टी में कोई मतभेद नहीं है। </p>
<p>सुरेश भारद्वाज ने कहा कि कांग्रेस देश में ही नहीं बल्कि हिमाचल में भी अपने समय के सबसे बड़े सकंटकाल से गुजर रही है। उसके पास न तो विजन है और न ही सशक्त नेतृत्व। बुजुर्ग नेता वीरभद्र सिंह की पकड़ कांग्रेस संगठन पर से खत्म हो चुकी है। उनकी वरिष्ठता के प्रति संगठन में पहले जैसा सम्मान नहीं है। ऐसा कहा जा सकता है कि इस लोकसभा चुनाव के साथ ही हिमाचल प्रदेश भी कांग्रेस से लगभग मुक्त हो जाएगा।</p>
<p>उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह का यह कहना सब कुछ स्पष्ट कर देता है कि कांग्रेसी नाराज होकर घर बैठ गए हैं। कांग्रेस का एक गुट लगातार वीरभद्र सिंह समर्थकों को ठिकाने लगाने में व्यस्त रहा। राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा का धड़ा वीरभद्र सिंह की वरिष्ठता का मज़ाक उड़ाता है। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुक्खू ने सार्वजनिक तौर पर वीरभद्र के खिलाफ बयान दिए। प्रदेश कांग्रेस 23 मई के बाद पूरी तरह बिखर जाएगी। चारों सीटें हारने और देश में फिर एक बार मोदी सरकार बनने का झटका इतना तगड़ा होगा कि कांग्रेस संगठन उसे सहन नहीं कर पाएगा।</p>
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