<p>हिमाचल के सरकारी स्कूली छात्रों को दी जाने वाली वर्दी ख़रीद पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि नई सरकार के बनने के बाद से वर्दी ख़रीद की फाइल शिक्षा विभाग, खाद्य आपूर्ति निगम के अफसरों और दोनों मंत्रियों के कार्यालय के इर्द-गिर्द घूम रही है। लेकिन आज तक इसके टेंडर नहीं हो पाए।</p>
<p>वर्दी खरीद में देरी का मुख्य कारण गत साल से क़ीमतों में बढ़ोतरी और 3 साल का एक साथ टेंडर करने को माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि इसी पर मंत्री और अफसरों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। इसी उठापटक के बीच सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन के एमडी का तबादला भी सवाल खड़े कर रहा है।</p>
<p>याद रहे कि हिमाचल के स्कूलों में पढ़ने वाले 8.24 लाख छात्र-छात्राओं को स्मार्ट वर्दी दी जानी है। शिक्षा विभाग और खाद्य आपूर्ति विभाग के माध्यम से होने वाली यह खरीद 174 करोड़ रुपये की है। लेकिन पिछले 4 महीने से टेंडर प्रक्रिया पर अंतिम फैसला नहीं हो पा रहा है। इससे लग रहा है कि वर्दी खरीद के पीछे कोई बढ़ा भ्रष्टाचार या फर्जीवाड़ा तो नहीं..?? क्योंकि इसे लेकर सीधा जवाब न विभाग के पास है और न मंत्रियों के पास…।।</p>
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