हिमाचल में सत्ता परिवर्तन होते ही तबादलों की बाढ़ सी आ गई। सरकार ने आते ही मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, डीजीपी सहित सभी जिलों के एसपी-डीसी सहित धड़ाधड़ तबादलों कर डाले। इसी बीच सरकार ने कैबिनेट में फैसला भी लिया, जिसमें तबादलों पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन इस फैसले के तीसरे दिन बाद ही सरकार में तबादलों की एक और लंबी सूची जारी कर दी।
तबादलों का ये सिलसिला सरकार में अब भी नहीं थम रहा है। कभी छिटपुट तबादले हो रहे हैं, तो कभी विभागों में फेरबदल कर सरकार तबादलों में उलझी हुई नजर आ रही है। इसी बीच सरकार को एक एसपी का तबादला भारी पड़ गया है। यहां तबादले की वजह सुरक्षा में कोताही एवं अव्यवस्था बताया गया। लेकिन, इस तबादले से लोगों में भारी निराशा देखने को मिल रही है। यहां तक कि कुछ लोग आला-अफसरों के तबादलों को लेकर न्यायालय के फैसले का हवाला दे रहे है कि दो साल के अंदर तबादला नहीं किया जा सकता और प्रदेश सरकार उन आदेशों की अवहेलना कर रही है।
लेकिन इन लोगों की कौन सुनने वाला है। पूर्ण बहुमत लेकर नए जोश के साथ बीजेपी सरकार सत्ता में काबिज़ है। ऊपर से मुख्यमत्री भी नए हैं, इसलिए ईमानदार मुख्यमत्री की दुहाई देकर सरकार आगे बढ़ रही है। तबादलों में सरकार ने जितनी जल्दी दिखाई, उससे ये कहना ग़लत नहीं होगा कि कहीं ऐसा तो नहीं की चंद लोगों के बहकावे में आकर विश्वास में लिए बिना कुछ लोगों को उस जगह लगा दिया, जहां के लिए वह फिट ही नहीं बैठते है।