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‘बर्फबारी के बाद शिमला में इमरजेंसी’, निगम पर लग रहे आरोप

पी. चंद |

शिमला नागरिक सभा ने शिमला शहर में बर्फबारी के बाद पैदा हुई अव्यवस्था के लिये नगर निगम शिमला की घोर निंदा की है। शहर की जनता पिछले 3 दिन से भारी परेशानी में है और ये दोनों संस्थाएं कुम्भकर्णी नींद सोई हुई हैं। नागरिक सभा ने चेताया है कि अगर शीघ्र ही नगर निगम ने शिमला शहर में सेवाओं को बहाल न किया तो नागरिक सभा आंदोलन का रास्ता अख्तियार करेगी।

सभा के अध्यक्ष ने नगर निगम शिमला की कार्यप्रणाली पर गम्भीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि एम्बुलेंस तक भी चल नहीं पा रही है। बसों के न चलने से लोगों को कई किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पड़ रही है। शहर में इमरजेंसी जैसे हालात हैं। पूरा साल भर चलने वाली आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग की इस बर्फबारी में पूरी पोल खुल गयी है। शहर की जनता भारी परेशानी में है। पिछले 3 दिनों से कई इलाकों में पानी नहीं आ रहा है। पानी की पाइपें टूटी पड़ी हुई हैं। कई वार्डों में दो दिन से बिजली नहीं है। शहर में तीन दिन से कोई कूड़ा नहीं उठ पा रहा है।

अभी तक शहर की सड़कों और रास्तों से बर्फ नहीं हटी है। बर्फबारी के कारण दर्जनों लोग घायल हो चुके हैं। शहर में कर्मचारी और मजदूर वर्ग पिछले तीन दिनों से अपनी ड्यूटी पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। शहर में पिछले 3 दिन से गैस का वितरण भी रुका हुआ है और लोग भारी ठंड में गैस से वंचित हो रहे हैं। शहर में पूरी तरह अव्यवस्था का आलम है। शहर की जनता बर्फबारी के कारण बुरे दौर से गुज़र रही है और भाजपा शासित नगर निगम के 28 पार्षद पॉन्डिचेरी आदि में मौज-मस्ती कर रहे हैं। यह बिल्कुल अमानवीय है।

नगर निगम शिमला की लापरवाही इस बात से ही स्पष्ट हो जाती है कि बर्फबारी से निपटना तो दूर बर्फबारी से निपटने के लिए सड़कों के किनारे मिट्टी,रेत व जीरा आदि रखने में भी नगर निगम पूरी तरह असफल रहा है। नगर निगम का जिला प्रशासन व लोक निर्माण विभाग से तालमेल बिठाने में बिल्कुल नाकामयाब रहा है।