इलाहाबाद का नाम 'प्रयागराज' होने के बाद से ही शिमला का नाम 'श्यामला' रखने पर उपजा विवाद तूल पकड़ता हुआ नज़र आ रहा है। प्रदेश कांग्रेस ने नाम बदलने के इस सिस्टम को 'नाम की राजनीति' करार देते हुए दो-टूक कहा है कि शिमला शहर की पहचान से कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। विश्व भर में शिमला की अपनी पहचान है औऱ शिमला वासी भी इसके नाम से कोई छेड़छाड़ नहीं चाहते।
नरेश चौहान ने कहा कि सरकार नाम बदलने की इस राजनीति को छोड़कर जनता के वायदे पूरे करें। 9 माह का कार्यकाल हो चुका है और अभी तक सरकार जनता की उम्मीदों पर ख़रा नहीं उतर पाई है। सरकार इस तरह के शिगूफे छोड़ अपनी नाकामियों को छिपाने के प्रयास कर रही है। बीजेपी स्वार्थ की राजनीति करने में माहिर है और देश-प्रदेश की जनता भी अब इससे भलीभांति वाकिफ़ है।
ग़ौरतलब है कि उत्तरप्रदेश के नामी शहर इलाहाबाद का नाम योगी सरकार ने बदलकर प्रयागराज कर दिया है। इसके बाद से सोशल मीडिया पर कई शहर के नामों को बदलने की चर्चाएं चल रही हैं। इसी के मद्देनज़र शिमला का नाम भी श्यामला रखने की बात सोशल मीडिया पर हो रही थी। कई कार्यकर्ताओं ने तो ये भी कहा था कि गुलामी के नाम शिमला को नहीं चाहिए, इसलिए इसे बदला जाना चाहिए।
बताते चलें की शिमला का नाम श्यामला देवी के नाम पर रखा गया था। अंग्रेजों के ज़माने में इस श़हर का नामकरण हुआ था और आज इसे पहाड़ो की रानी के नाम से भी जाना जाता है। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला ही है, जिससे ये मामला लग़ातार तूल पकड़ता जा रहा है।