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सदन में गूंजा हिमाचल के कर्ज का मुद्दा, CM बोले- पिछली सरकार ने कर्ज में डूबोया

पी. चंद |

हिमाचल विधानसभा में बजट सत्र की चर्चा के दौरान प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए ऋण का मामला खूब गूंजा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू , होशियार सिंह और राजिन्द्र राणा ने संयुक्त सवाल में मुख्यमंत्री से पूछा कि 15 फरवरी तक प्रदेश सरकार ने कितना कर्ज लिया? इस ऋण को कम करने के लिए सरकार ने किया? केन्द्र सरकार से ऋण का दबाव कम करने के लिए क्या मदद मिलने की उम्मीद है?

इसके जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल सरकार पर 46502.42 करोड़ का ऋण है। मौजूदा सरकार ने मात्र 1000 करोड़ ऋण लिया है। कर्ज का अधिकतर हिस्सा पिछली सरकार द्वारा लिए कर्ज के ब्याज के रूप में अदायगी की गई। कांग्रेस ने सत्ता में आते ही गाड़ियां खरीदी, सीपीएस नियुक्त किए साथ में निगम-बोर्ड अध्यक्षों पर बेतहाश खर्च किया।

मौजूदा सरकार हिमाचल में कर्ज का बोझ कम करने के लिए वन संपदा और माइनिंग से पैसा जनरेट करने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा केन्द्र से हर संभव सहायता लेने की कोशिश की जाएगी। इसके साथ ही बिजली प्रोजेक्टस से प्रदेश की आय बढ़ेगी।

सुक्खू का सवाल: पिछली सरकार ने 18000 करोड़ ऋण लिया, तो क्या सरकार इससे कम ऋण लेगी…?

जबाब में मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार कम से कम ऋण लेने की कोशिश सरकार करेगी और सीमित साधनों में सरकार विकास करेगी।

सीएलपी मुकेश अग्निहोत्री का सवाल: क्या केन्द्र सरकार प्रदेश को वेल आउट पैकेज देगी? अवैध माइनिंग के चलते डमटाल में हुई हत्या पर भी सीएम से जवाब मांगा…

जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने लोन लेने की सीमा को क्रॉस किया। माइनिंग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ये चिंता का विषय है इसलिए माइनिंग पर कोई नीति बनाए जाने की जरूरत है।

इसी सवाल के अनुपूरक में राकेश सिंघा ने भी पूछा कि भाखड़ा से जो पैसा आना है उसके लिए सयुंक्त प्रयास किए जाए।

मुख्यमंत्री ने भी माना कि भाखड़ा की समस्या है और सबको मिलकर इस मसले को उठाना चाहिए ताकि हिमाचल का हिस्सा उसे मिल सके।