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सरकार ने ट्रिब्यूनल कोर्ट को बहाल नहीं किया तो 2022 में भुगतने पड़ेगें गंभीर परिणाम: कर्मचारी महासंघ

पी. चंद. शिमला |

प्रशासनिक कोर्ट को बंद करने के सरकार के फैसले का कर्मचारी महासंघ ने विरोध किया है। अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष एसएस जोगटा ने कहा कि कोर्ट को बंद करना कर्मचारियों के साथ कुठाराघात है। जयराम सरकार से पहले भी बीजेपी की धूमल सरकार के समय भी ट्रिब्यूनल को बंद किया गया था। जिसके खिलाफ कर्मचारियों में खासा गुस्सा था और नतीजन धूमल सरकार को सत्ता से बाहर होना पड़ा था। लेकिन अब जयराम सरकार में भी कर्मचारी विरोधी निर्णय लिया है जिसका खामियाजा जयराम ठाकुर की सरकार को 2022 के विधानसभा चुनावों में भुगतान पड़ेगा।

जोगटा ने कहा कि धूमल सरकार के ट्रिब्यूनल को बंद करने के फैसले का उन्होंने विरोध किया था जिसका सजा के वे भी भुगतभोगी रहे हैं।सरकार ने उनका तबादला कर दिया था।एसएस जोगटा ने कहा कि दोनों ही राजनीतिक दल कर्मचारियों के हित की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं अगर कोई तीसरा विकल्प भी कर्मचारियों को मिलता है तो वे उसका साथ देने में भी गुरेज नहीं करेंगे।

एसएस जोगटा ने कर्मचारी नेता विनोद कुमार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति ट्रिब्यूनल को बंद करने पर बार बार बयान दे रहे हैं जिनका कर्मचारी महासंघ में कोई अस्तित्व नहीं है और न ही कर्मचारियों के हितों के बारे में कोई जानकारी है। ट्रिब्यूनल के बंद होने से कर्मचारियों के मामले हाई कोर्ट में पहुंचेंगे जंहा पहले से ही बहुत ज्यादा मामले लंबित है। कर्मचारियों को जल्द न्याय नहीं मिलेगा। इसलिए सरकार ट्रिब्यूनल कोर्ट को बंद करने के फैसले पर पुनर्विचार करके इसे बहाल करे और मंडी व धर्मशाला में ट्रिब्यूनल कोर्ट की स्थायी बैंच स्थापित करके कर्मचारियों को राहत देने का काम करे।