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जयराम को ‘सिरमौर’ बता गए मोदी या दे गए कोई संदेश !

धर्मराज सिंह |

धर्मराज सिंह। गुरुवार को कांगड़ा के पुलिस मैदान में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली कई मायनों में खास रही। मौका तो था हिमाचल में बीजेपी की सरकार का जयराम ठाकुर के नेतृत्व में एक साल पूरा होने का मगर मंच पर आए नरेंद्र मोदी ने एक ही तीर से कई निशाने साधे।

जाहिर है, लोकसभा चुनावों को छह महीने से भी कम समय बचा है, ऐसे में इसमें चुनावी बातें होना तो स्वाभाविक था। मगर केंद्र सरकार की उपलब्धियां गिनाने और राज्य सरकार के काम की तारीफ करने के इतर जिस तरह से नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में जयराम ठाकुर का जिक्र किया, राजनीतिक विश्लेषक उसका एक ही मतलब निकाल रहे हैं- प्रदेश में पार्टी संगठन और कार्यकर्ताओं को यह फिर से संदेश देना कि उनकी नजर में जयराम ठाकुर ही प्रदेश के नेता हैं।

जयराम से आत्मीयता का जिक्र

बीते साल जिस तरह लंबे समय तक चली रस्साकशी और खींचतान के बाद पार्टी आलाकमान ने अन्य नेताओं के बजाय जयराम ठाकुर को प्रदेश का सीएम बनाने का फैसला किया था, उसी समय स्पष्ट हो गया था कि सीएम के तौर पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी उनपर ज्यादा भरोसा करती है। अब 'जन आभार रैली' में प्रधानमंत्री ने यह साफ किया आखिर क्यों एक साल पहले उन्होंने जयराम को चुना था।

आज मंच पर कई मौकों पर उन्होंने जयराम को 'मेरे मित्र' कहकर संबोधित किया और यह जताने की कोशिश की कि जयराम के साथ उनके आत्मीय संबंध हैं। इससे पहले भी नरेंद्र मोदी हिमाचल में हुई जनसभाओं में हिमाचल से नाता जोड़ते रहे हैं, धाम का जिक्र करते रहे हैं, यहां पी गई चाय का जिक्र करते रहे हैं, यहां घूमी जगहों की बातें करते हैं मगर हिमाचल प्रदेश बीजेपी के नेताओं से सीधे संबंध होने का जिक्र करने से बचते रहे हैं। मगर आज उन्होंने जयराम की नाम लेकर खुलकर तारीफ की।

मोदी का संदेश क्या है

नरेंद्र मोदी पहले भी राज्य सरकारों के समारोहों मे गए हैं मगर वहां पर सरकार की योजनाओं और पार्टी की विचारधारा के इतर वहां के नेताओं पर इस तरह से बात करते उन्हें नहीं देखा गया। फिर सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर हिमाचल में उन्होंने ऐसा क्यों किया। दरअसल पार्टी हाइमकान जानता है कि जयराम को मुख्यमंत्री बनाना एक बड़ा कदम था और इससे पहले से स्थापित नेता और उनके समर्थक नाराज हो सकते हैं। बावजूद इसके उन्होंने यह फैसला लिया था।

चूंकि एक साल तक सब देखने और संगठन के स्तर पर फीडबैक लेते रहने वाले अमित शाह और नरेंद्र मोदी से यह बात छिपी नहीं है कि विशेष धड़ों के नेता और उनके समर्थक राज्य सरकार का उस तरह से समर्थन नहीं कर रहे, जिस तरह की अपेक्षा उनसे की जाती है। बल्कि वे कांग्रेस से भी ज्यादा आक्रामक ढंग से अपनी ही सरकार की आलोचना में जुटे हैं। यह रवैया न सिर्फ राज्य सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला है, बल्कि आने वाले लोकसभा चुनावों में बीजेपी उम्मीदवारों के लिए भी नुकसानदेह हो सकता है।

ऐसे में नरेंद्र मोदी ने पार्टी के असंतुष्टों धड़ों को स्पष्ट संदेश दिया है कि उन्हें जयराम पर पूरा विश्वास है और आगे भी वह जयराम के साथ रहेंगे। ऐसे में टांग खींचकर अपना ही नुकसान करवाने से बेहतर है कि इस तथ्य को स्वीकार करके एकजुट हो जाएं और पार्टी की राज्य और केंद्र सरकारों के काम को जनता तक पहुंचाने में जुट जाएं।

मोदी का यह कड़ा रवैया बीजेपी के विभिन्न खेमों के लिए झटके की तरह है और अब उन धड़ों के नेता वक्त की नब्ज संभालते हुए अपनी चाल भी बदलते नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर जो अन्य खेमों से जुड़े पदाधिकारी कल तक मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की फेसबुक पोस्टों को शेयर करने या राज्य सरकार की तारीफ वाली पोस्टों को शेयर करने से बचा करते थे, आज उनकी टाइमलाइन मोदी और जयराम की तारीफ वाली पोस्टों से भरी हुई है।

इसे नरेद्र मोदी के संदेश का प्रभाव तो माना जा सकता है मगर देखना यह होगा कि मोदी जो सबक देकर गए हैं, पार्टी कार्यकर्ताओं पर इसका असर कब तक रहता है।

(उपरोक्त विचार समाचार फर्स्ट के एडिटर धर्मराज सिंह के है)