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‘चुनाव आचार संहिता’ क्या है, क्लिक करके जान लें, वर्ना..!

समाचार फर्स्ट डेस्क |

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी है। चुनावों के दौरान जो शब्द सबसे ज्यादा चर्चा के केंद्र में रहता है वह है 'मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट' यानि 'आदर्श आचार संहिता'। आचार संहिता शब्द सुनते ही तमाम अधिकारी और राजनेताओं के दिलों की धड़कनें बढ़ जाती हैं। लेकिन, ये आचार संहिता है क्या? क्यों इसको लेकर सभी सजग रहते हैं? ये सारी बातें हम आपको महज चंद मिनटों में समझा देंगे, फिर आप मोहल्ले के 'पॉलिटिकल गुरू' के नाम से विख्यात हो जाएंगे…।

मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट यानी आदर्श आचार संहिता क्या है और प्रत्याशियों से लेकर पार्टी और सरकार पर इसके क्या-क्या प्रतिबंध है और किन पहलुओं का ख्याल रखना होता है…यह सब आपको नीचे क्रमश: जानने को मिलेगा।

क्या है चुनाव आदर्श आचार संहिता?

सामान्य नियम

  • कोई राजनीतिक पार्टी या प्रत्याशी ऐसा कोई काम नहीं करेगी जिससे दोनों समुदायों के मतभेत को बढ़ावा मिले. 
  • किसी राजनीतिक पार्टी या प्रत्याशी पर निजी हमले नहीं किए जा सकते हैं, लेकिन उनकी नीतियों की आलोचना हो सकती है.
  • वोट पाने के लिए किसी भी स्थिति में जाति या धर्म आधारित अपील नहीं की जा सकती.
  • मस्जिद, चर्च, मंदिर या दूसरे धार्मिक स्थल का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के मंच के तौर पर नहीं किया जा सकता है.
  • वोटरों को रिश्वत देकर, या डरा, धमकाकर वोट नहीं मांग सकते.
  • वोटिंग के दिन मतदान केंद्र के 100 मीटर के दायरे में वोटर की कैंवेसिंग करने की मनाही होती है.
  • मतदान के 48 घंटे पहले पब्लिक मीटिंग करने की मनाही होती है.
  • मतदान केंद्र पर वोटरों को लाने के लिए गाड़ी मुहैया नहीं करा सकते.
  • चुनाव प्रचार के दौरान आम लोगों की निजता या व्यक्तित्व का सम्मान करना लाज़मी है. अगर किसी शख्स की राय किसी पार्टी या प्रत्याशी के खिलाफ है उसके घर के बाहर किसी भी स्थिति में धरने की इजाज़त नहीं हो सकती.
  • प्रत्याशी या राजनीतिक पार्टी किसी निजी व्यक्ति की ज़मीन, बिल्डिंग, कंपाउंड वॉल का इस्तेमाल बिना इजाजत के नहीं कर सकते.
  • राजनीतिक पार्टियों को यह सुनिश्चित करना है कि उनके कार्यकर्ता दूसरी राजनीतिक पार्टियों की रैली में कहीं कोई बाधा या रुकावट नहीं डाले.
  • पार्टी कार्यकर्ता और समर्थकों के लिए यह ज़रूरी है कि दूसरी राजनीतिक पार्टी की मीटिंग के दौरान गड़बड़ी पैदा नहीं करें.

राजनीतिक सभाओं से जुड़े नियम

  •  जब भी किसी राजनीतिक पार्टी या प्रत्याशी को कोई मीटिंग करनी होगी तो उसे स्थानीय पुलिस को इसकी जानकारी देनी होगी और उन्हें प्रस्तावित मीटिंग का टाइम और जगह बताना होगा.
  • अगर इलाके में किसी तरह की निषेधाज्ञा लागू है तो इससे छूट पाने के लिए पुलिस को पहले जानकारी दें और अनुमति लें.
  • लाउडस्पीकर या दूसरे यंत्र या सामान के इस्तेमाल के लिए इजाज़त लें.

जुलूस संबंधी नियम

  •  राजनीतिक पार्टी या प्रत्याशी जुलूस निकाल सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें इजाज़त लेनी होगी. जुलूस के लिए समय और रुट की जानकारी पुलिस को देनी होगी.
  • अगर एक ही समय पर एक ही रास्ते पर दो पार्टियों का जुलूस निकलना है तो इसके लिए पुलिस को पहले से इजाज़त मांगनी होगी ताकि किसी तरह से दोनों जुलूस आपस में न टकराएं और ना ही कोई गड़बड़ी हो.
  • किसी भी स्थिति में किसी के पुतला जलाने की इजाज़त नहीं होगी

मतदान के दिन का नियम 

 

  • राजनीतिक पार्टियां अपने कार्यकर्ताओं को आइडेंटी कार्ड दें और अपने कैंपस में गैर जरूरी भीड़ जमा नहीं होने दें.
  • मतदान केंद्र पर गैर जरूरी भीड़ जमा न हों.
  • मतदाता को छोड़ कोई दूसरा जिन्हें चुनाव आयोग ने अनुमति नहीं दी है मतदान केंद्र पर नहीं जा सकता है.

 

सरकार के लिए  दिशानिर्देश

  •  चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, सभी सरकारें चुनाव आचार संहिता के दायरे में आएंगी.
  •  किसी भी स्थिती में सरकारी दौरे को चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
  •  सरकारी मशीनीरी का इस्तेमाल चुनावों के लिए नहीं होना चाहिए.
  •  सरकारी गाड़ी या एयर क्राफ्ट का इस्तेमाल नहीं कर सकते.
  • सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव मुहिम के दौरान नहीं किया जा सकता.
  • प्रचार के लिए सरकारी पैसे का इस्तेमाल नहीं हो सकता.
  • सरकार, मंत्री या अधिकारी चुनाव के एलान के बाद अपने मंज़ूर किए गए धन या अनुदान के अलावा अपने विवेक से कोई नया आदेश नहीं दे सकते यानी सीधे शब्दों में कहें कोई नई योजना शुरू नहीं कर सकते.