<p>देश में मेडिकल खर्चे को न्यूनम स्तर पर लाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने कमर कस ली है। जानकारी के मुताबिक सरकार आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली मेडिकल संबंधी उपकरणों के दामों में कमी करने जा रही है। अंग्रेजी अख़बार 'इकोनॉमिक्स टाइम्स' के मुताबिक सरकार मेडिकल डिवाइसेज के ट्रेड मार्जिन को 30 पर्सेंट तक कम करने की तैयारी कर रही है। इससे डिस्ट्रिब्यूटर्स, होलसेलर्स, रिटेलर्स और अस्पतालों की ओर से मरीजों से अधिक वसूली किए जाने पर लगाम लग सकती है।</p>
<p>सरकार के थिंक टैंक 'नीति आयोग' ने मेडिकल डिवाइसेज और सेवाओं को अफोर्डेबल बनाने के लिए यह सुझाव दिया है। नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि मेडिकल सेक्टर से जुड़े उपकरणों के ट्रे़ड मार्जिन को तार्किक स्तर पर लाया जाना चाहिए। इसी के तहत पहले 'पॉइंट ऑफ सेल' पर इन डिवाइसेज को 30 फीसदी मार्जिन तक लाने का सुझाव है।</p>
<p>इकोनॉमिक्स टाइम्स के हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ एक मीटिंग हुई है और इस पर चर्चा की गई है। नीति आयोग ने इस मसले को लेकर मेडिकल डिवाइसेज मैन्युफैक्चरर्स और पब्लिक हेल्थ ग्रुप्स के अलावा सभी संबंधित पक्षों से बातचीत शुरू कर दी है। नीति आयोग ने मेडिकल से जुड़ी स्टैंडिंग कमेटी को इस मामले में सभी जरूरी दवाइयों और संसाधनों के मार्जिन को सीमित करने के लिए एक लिस्ट तैयार करने को कहा है।</p>
<p>गौरतलब है कि भारत की ओर से 75 फीसदी मेडिकल डिवाइसेज का आयात होता है। इनमें से अधिकांश डिवाइसेज गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल होते हैं और इनकी कीमत भी काफी ज्यादा होती है। फिलहाल मेडिकल डिवाइसेज पर भारत सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है।</p>
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