चार दिन से चल रहा शिमला में विधान सभा का मॉनसून सत्र देर शाम करीब 8 बजे संपन्न हुआ. 10 से 13 अगस्त तक चलते मॉनसून सत्र की कार्यवाही 22 घंटे 40 मिनट तक चली जिसमें कई महत्वपूर्ण चर्चाएं हुए और विधेयक भी पारित हुए. मौजूदा 13वीं विधान सभा का यह अंतिम सत्र था पिछले पांच वर्षो में 13वीं विधान सभा की कुल 140 बैठकें आयोजित की गई हैं जबकि 77 विधेयक सदन में लाए गए जिसमें 69 पारित भी हुए.
समापन अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने पक्ष और विपक्ष का सदन की कार्यवाही संचालित करने में सहयोग के लिए आभार प्रकट किया और कहा कि कोविड़ -19 की वजह से वर्ष 2020 का शीतकालीन सत्र स्थगित करना पड़ा था बावजूद इसके 140 बैठकें आयोजित करने में कामयाब हुए है जिसका श्रेय हिमाचल प्रदेश सरकार के समस्त अधिकारियों व कर्मचारियों व विधान सभा सचिवालय के अधिकारियों व कर्मचारियों को जाता है.
इन 5 वर्षों में कुल 10513 सूचनायें प्रश्नों के रूप में सदस्यों से प्राप्त हुई है जिनमें से 7414 तारांकित तथा 3099 अतारांकित प्रश्न प्राप्त हुए जिन्हें आगामी कार्यवाही हेतु सरकार को प्रेषित किया गया. इन 5 वर्षो में कुल 77 सरकारी विधेयक पूरस्थापित किये गये जिनमें से 69 का पारण किया गया. पांच वर्षो में सभा की समितियों द्वारा कुल 683 प्रतिवेदन सभा में स्थापित किये गये.
वही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि तेरहवीं विधानसभा का अंतिम सत्र काफी सौहार्दपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ है. सरकार बनने के बाद उन्हें सरकार के संचालन में प्रदेश के सभी लोगों का सहयोग मिला है जिसका वे आभार प्रकट करते हैं. मुख्य्मंत्री ने कहा कि सरकार बनने के बाद गरीब वर्ग के हित में उन्होंने कई कार्य किए हैं और कभी भी बदले की भावना से कार्य नहीं किया जो कि पहले की सरकारों में हुआ करता था.
हालांकि कोविड के दौर में काफी नुकसान प्रदेश को उठाना पड़ा है. बावजूद इसके सरकार ने हर वर्ग के विकास के लिए कार्य करने की की है. मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें इस बात का खेद रहेगा कि कोविड के चलते उन्हें अन्य मुख्यमंत्रियों की तरह सामान्य कार्यकाल का मौका नहीं मिला. अब चुनावों का मौका है और इस बार प्रदेश की जनता रिवाज़ बदलेगी और फिर से प्रदेश में भाजपा को सरकार बनेगी.
वही नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि विपक्ष में होने के नाते 5 वर्ष जनता से जुड़े हुए मुद्दों को सदन के भीतर उठाने का पूरा प्रयास किया गया है लेकिन वर्तमान सरकार प्रदेश में विकास कार्य करवाने में पूरी तरह विफल हुई है. जनता आज महंगाई,बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, माफिया राज, चरमराती कानून व्यवस्था से त्रस्त है. जबकि भाजपा सरकार ने सत्ता में आने से पहले लोगों को राहत देने के बड़े-बड़े दावे किए थे.
हिमाचल प्रदेश को कर्ज मुक्त बनाने की बात कही थी लेकिन जयराम सरकार फिजूलखर्ची रोकने में नाकामयाब रही और प्रदेश को कर्जे में डुबोने का काम सरकार ने किया है. यही कारण है कि विधान सभा के अंतिम सत्र में भी कर्ज लेने की सीमा को बढ़ाने के लिए विधेयक पारित किया गया है. अब चुनावों का दौर है जनता जयराम सरकार को सत्ता से बाहर निकाल फेंकेगी और प्रदेश में फिर से कांग्रेस पार्टी सत्ता में काबिज होगी.