<p>हिमाचल प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम के पूर्व उपाध्यक्ष व नगर निगम शिमला के पूर्व उपमहापौर हरीश जनारथा ने आरोप लगाया है कि बीजेपी शासित नगर निगम राजधानी के लोगों के पुराने भवनों को असुरक्षित घोषित करने के नाम पर तंग कर रहा है। उन्होंने कहा है कि नगर निगम द्वारा कई पुराने भवनों को असुरक्षित घोषित किया जा रहा है और इसकी आड़ में चहेतों को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। उनका कहना है कि जिन भवनों को असुरक्षित घोषित किया जा रहा है उन्हें ओल्ड लाइन पर फिर से निर्माण की भी इजाजत नहीं दी जा रही है। इससे लोगों में नगर निगम के प्रति भारी आक्रोष है।</p>
<p>वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश जनारथा ने कहा कि शिमला शहर के बाजार वार्ड में सैकड़ों भवन ऐसे हैं जो पुराने हैं। इनमें से अधिकतर भवन बहुमंजिला हैं और वे कई दशक पहले बने हैं। साथ ही इनकी दीवारें भी आपस में जुड़ी हैं। इनमें सैकड़ों परिवार रहते हैं और व्यापारिक गतिविधियां भी चल रही हैं। लेकिन नगर निगम ने अब पुराने भवनों को असुरक्षित घोषित किया जा रहा है और इसकी आड़ में कई ऐसे भवनों को भी असुरक्षित किया जा रहा है, जो केवल मात्र रिपेयर से ही सुरक्षित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि कई भवन मालिक या फिर किराएदार रिपेयर की इजाजत लेने नगर निगम जा रहे हैं लेकिन उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी जा रही है। इसमें नगर निगम प्रशासन पूरी तरह से मनमानी कर रहा है।</p>
<p>कांग्रेस नेता ने कहा कि कई लोगों ने उन्हें बताया कि नगर निगम ने बाहर से एक ही हिस्से को देखकर ही भवन को असुरक्षित घोषित किया है, जबकि यदि अंदर से भवन को देखा जाए तो वह पूरी तरह से ठीक हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि भवन को रिपेयर की इजाजत लेने जा रहे लोगों को मनाही हो रही है और न ही उन्हें ओल्ड लाइन पर भवन का फिर से निर्माण करने की इजाजत दी जा रही है। उन्होंने कहा कि नगर निगम प्रशासन इन भवनों के फिर से निर्माण के लिए एनजीटी के आदेशों के मुताबिक निर्माण को कह रहा है, जबकि उसके आदेश नए भवन निर्माण पर ही लागू होंगे। लेकिन निगम प्रशासन पुराने भवनों पर भी इसे ही लागू कर रहा है। उन्होंने नगर निगम प्रशासन से मांग की कि जिन भवनों को उसने असुरक्षित घोषित किया है, उन भवनों के ओल्ड लाइन पर निर्माण की इजाजत दी जाए। साथ ही जिन भवनों की रिपेयर ही करनी है, उसकी भी इजाजत दी जाए।</p>
<p>जनारथा ने कहा कि पुराने भवन कई मंजिला हैं और उनमें कई परिवार रहते हैं और व्यापारिक कामकाज भी है। उन्होंने कहा कि यदि ये भवन एनजीटी के आदेशों के मुताबिक बनेंगे तो कई परिवार बेघर हो जाएंगे और वे सीधे सड़क पर आ जाएंगे। जबकि वे कई दशकों ने इन घरों में रह रहे हैं। ऐसे में नगर निगन की कार्यप्रणाली के कारण ये लोग सड़क पर आने को मजबूर हो गए हैं। इसे देखते हुए उनकी सरकार से मांग है कि वह इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करते हुए शिमला शहर के लोगों को राहत प्रदान करे और नगर निगम को लोगों को बेवजह तंग न करने का निर्देश दे। उन्होंने यह मांग भी की कि नगर निगम ने जो भवन असुरक्षित घोषित किए हैं, उसकी सूची को भी सार्वजनिक किया जाए।</p>
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