बिहार में आज JDU और BJP का गठबंधन टूट गया है. जनता दल यूनाइटेड की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ये फैसला लिया है. नीतीश कुमार बीजेपी का साथ छोडने जा रहे है. ऐसी अटकलें लगातार चल रही थीं. जिस पर अब मुहर लग गई है. जेडीयू की तरफ से औपचारिकता ऐलान नहीं किया गया है. लेकिन दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया है, सीएम नीतीश कुमार महासंगठन के साथ सरकार बनाएंगे, जिसमें आरजेडी, लेफ्ट और कांग्रेस शामिल है. राज्यपाल से मुलाकात करते समय महासंगठन के नेता भी उनके साथ मौजूद रहेंगे और गवर्नर को समर्थन पत्र सौंपेंगे.
जानिए क्या हैं बिहार के राजनीतिक आंकड़े?
बिहार विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 243 है। यहां बहुमत साबित करने के लिए किसी भी पार्टी को 122 सीटों की जरूरत है। वर्तमान आंकड़ों को देखें तो बिहार में सबसे बड़ी पार्टी राजद है। उसके पास विधानसभा में 79 सदस्य हैं। वहीं, भाजपा के पास 77, जदयू के पास 45, कांग्रेस के पास 19, कम्यूनिस्ट पार्टी के पास 12, एआईएमआईएम के पास 01, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के पास 04 सदस्य हैं। इसके अलावा अन्य विधायक हैं।
कैसे बन रहे हैं नए समीकरण?
वर्तमान में जदयू के पास 45 विधायक हैं। उसे सरकार बनाने के लिए 77 विधायकों की जरूरत है। पिछले दिनों राजद और जदयू के बीच नजदीकी भी बढ़ी हैं। ऐसे में अगर दोनों साथ आते हैं तो राजद के 79 विधायक मिलाकर इस गठबंधन के पास 124 सदस्य हो जाएंगे, जो बहुमत से ज्यादा हैं। इसके अलावा खबर है कि इस गठबंधन में कांग्रेस और कम्यूनिस्ट पार्टी भी शामिल हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के 19 और कम्यूनिस्ट पार्टी के 12 अन्य विधायकों को मिलाकर गठबंधन के पास बहुमत से कहीं ऊपर 155 विधायक होंगे। इसके अलावा जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के चार अन्य विधायकों का भी उन्हें साथ मिल सकता है।
ऐसे अस्तित्व में आई JDU
2003 से पहले तक जनता दल यूनाइटेड (JDU) केवल जनता दल (Janta Dal) हुआ करता था. 1999 के लोकसभा चुनाव में जनता दल के एक गुट ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को समर्थन दे दिया, जिसके बाद दल दो हिस्सों में बंट गया. इसके पहले हिस्से ने एचडी देवेगौड़ा नेतृत्व में जनता दल सेक्युलर (JDS) पार्टी बना ली और दूसरे धड़े की कमान शरद यादव ने संभाली. 30 अक्टूबर 2003 को शरद यादव के धड़े, लोकशक्ति पार्टी और समता पार्टी का विलय हो गया और इस प्रकार नई पार्टी जनता दल यूनाइटेड का गठन हुआ. हालांकि, चुनाव आयोग ने समता पार्टी का विलय रद्द कर दिया.
जब पहली बार बीजेपी के समर्थन से CM बने नीतीश कुमार
बिहार के 2005 के विधानसभा चुनाव से पहले जेडीयू एनडीए में शामिल हो चुकी थी. 2005 का विधानसभा चुनाव बीजेपी और जेडीयू ने पहली बार साथ में लड़ा और आरजेडी के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार को पटखनी दे दी. लेकिन इस वर्ष विधानसभा का चुनाव दो बार हुआ. पहले चुनाव में किसी के पास 122 का स्पष्ट बहुमत न होने कारण राष्ट्रपति शासन लगा और फिर अक्टूबर-नवंबर में दोबारा चुनाव हुए तो बीजेपी-जेडीयू ने सरकार बना ली. इस प्रकार बीजेपी के पहली बार समर्थन से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने.
2005 का चुनाव आरजेडी लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी के नेतृत्व में लड़ी थी. पहले चुनाव में आरजेडी 75 सीटें जीती थी. जेडीयू ने 138 सीटों लड़ी थी और 55 सीटें जीतीं, वहीं बीजेपी ने 103 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 37 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई थी. कांग्रेस महज 10 सीटें जीत पाई थी. किसी के पास 122 का स्पष्ट बहुमत न होने के कारण राष्ट्रपति शासन लग गया.
इसी साल अक्टूबर-नवंबर में दोबारा चुनाव हुए, जिसमें जेडीयू ने 139 सीटों पर लड़ी और 88 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन गई. बीजेपी ने 102 सीटों में से 55 सीटें जीतीं, आरजेडी ने 175 में से 54, लोक जनशक्ति पार्टी ने 203 में 10 सीटें जीतीं और कांग्रेस 51 में से महज 9 सीटें ही जीत पाई थी.
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