कांग्रेस आलाकमान ने सुशील कुमार शिंदे को ऐसे समय में प्रदेश कांग्रेस का चार्ज सौंपा है जब विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और कांग्रेस में अंतर्कलह चरम पर है। ऐसे समय में आलाकमान ने शिंदे पर विश्वास जताया है कि वह कांग्रेस की इस कलह को खत्म कर इसे एकजुट करेंगे। शिंदे पहले भी ऐसी ही गुटबाजी को खत्म करने के लिए हिमाचल का प्रभार संभाला गया था और उन्होंने इसे बखूबी से इसे निभाया था।
गौरतलब रहे कि 1992-93 में शिंदे को हिमाचल का प्रभारी बनाया गया था। उस दौरान कांग्रेस 60 सीटों के साथ तो सत्ता में आ गई थी, लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए पं. सुखराम, वीरभद्र सिंह और स्व. नारायण चंद पराशर के बीच खूब तनातनी चल रही थी। ऐसे में शिंदे ने अपने राजनीतिक सूझबूझ का परिचय देते हुए इन नेताओं का आपस में समझौता करवाकर वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री बनाया था।
हिमाचल कांग्रेस एक बार फिर 1993 वाले हालात से गुजर रही है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और सुखविंदर सिंह सुक्खू के बीच चल रहा विवाद तो किसी से छुपा नहीं है। आलाकमान ने भी इन दोनों के दरमियां की दूरियां कम करने की कोशिश की लेकिन ये विवाद थमने की बजाय बढ़ता गया। इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर और परिवहन मंत्री जीएस बाली भी कई बार वीरभद्र सिंह सिंह से विवादों को लेकर चर्चा में रहे हैं। अब देखना ये है कि शिंदे इस गुटबाजी को खत्म करके चुनावों में जीत दिला पाएंगे या उनकी कोशिशें भी इस लड़ाई के आगे फेल हो जाती हैं।