प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक़्सर जिस राज्य में जाकर संबोधन देते हैं वहां से कोई न कोई रिश्ता या फ़िर वहां के यादग़ार पल निकाल ही लेते हैं। यहां तक कि अपने भाषण में वे इन्हें प्रमुखता से उठाते हैं। या फ़िर यूं कहें कि उनकी स्क्रिप्ट की तैयारी ही कुछ ऐसी रहती है कि जो राज्यों के आधार पर हो। ताजे वाक्या में प्रधानमंत्री मोदी हिमाचल में आए थे जहां उन्होंने मंडी की भाषा, स्थानीय पकवान से लेकर अपने भावनात्मक रिश्तों तक को लेकर संबोधन दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत मंडयाली बोली से की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंडयाली में कहा, ‘एसी महिन्ने काशी विश्वनाथा रे दर्शन करने बाद आज छोटी काशी मंझ बाबा भूतनाथ, पंचवक्त्र कने महामृत्युंजय रा आशीर्वाद लैणे रा मौका मिल्या। देवभूमि रे सभी देवी-देवतयां जो मेरा नमन।’ यानी साफ शब्दों में उन्होंने देवभूमि के लोगों के सामने देव दर्शन की बात और देवभूमि को प्रणाम किया।
इसके साथ ही उन्होंने कहा ‘हिमाचल के साथ मेरा हमेशा से एक भावनात्मक रिश्ता रहा है। हिमाचल की धरती और हिमालय के शिखरों ने मेरे जीवन को दिशा देने में अहम भूमिका निभाई है। मैं जब भी मंडी आता हूं तो मंडी की सेपू बड़ी, कचोरी और बदाने के मीठे की याद आ ही जाती है।’ प्रधानमंत्री द्वारा ये सब कहते ही पंडाल में मौजूद हिमाचल के लोग जोर-जोर से तालियां और सीटियां बजाने लगे। लेकिन शायद किसी को ये मालूम नहीं कि प्रधानमंत्री मोदी अक्सर जहां भी भाषण देते हैं वहां से कोई न कोई रिश्ता, नाता या यादगार निकाल ही लेते हैं। कुछ वरिष्ठ पत्रकारों की मानें तो उनकी स्क्रिप्ट राइटिंग की राज्यों के आधार और पब्लिक इंट्रस्ट के हिसाब से तैयार की जाती है जिसके चलते वे अपना अटैचमेंट हर चीज़ से निकाल लेते हैं।
ग़ौरतलब है कि इससे पहले जयराम सरकार के राज में प्रधानमंत्री मोदी 3 बार हिमाचल आ चुके हैं। कांगड़ा में प्रधानमंत्री मोदी ने कांगड़ी धाम के चटख़ारे लिए थे तो सोलन में मशरूम के… शिमला में कॉफी के साथ-साथ अप्पर हिमाचल के लोगों को उन्हीं के अंदाज़ में लुभाया तो अब मंडी में आकर मंडयाली भाषा बोलना और स्थानीय पकवानों को याद करना 2022 से पहले अपने आप में उनकी ऑडियेंस टारगेटिंग को दर्शाता है।