Follow Us:

जिला परिषद कांगड़ा में भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासी जंग, मिली इतनी सीटें!

मृत्युंजय पुरी |

कांगड़ा जिला के जिला परिषद चुनाव परिणाम में कई नेताओं को झटका लगा, लेकिन साथ ही इस सियासत की जंग में भाजपा ने कुछ हद तक कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया। लिहाजा कांग्रेस का प्रदर्शन में काफी हद तक सुधार देखने को मिला लेकिन जिला की 54 सीटें भाजपा के लिए कांग्रेस से ज्यादा सुकुन भरी रही।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशासन की ओर से घोषित नतीजों के बाद जिला परिषद की कुल 54 सीटों में से भाजपा को 26, कांग्रेस को 19 और निर्दलीयों को 9 वार्डों में विजयी मिली। मंत्री बिक्रम ठाकुर और राकेश पठानिया ने अपने अपने गृह क्षेत्रों में साख बचा ली। बिक्रम ठाकुर ने अपने गृह क्षेत्र की 4 में से 3, राकेश पठानिया ने 3 में से 2 सीटें जीतीं। विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार गृह क्षेत्र में 5 में से सिर्फ दो सीटें ही जीत पाए, तीन सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमा लिया।

शाहपुर में मंत्री सरवीण चौधरी को फिर से सियासी झटका लगा। यहां चार में 3 कांग्रेस, भाजपा को एक सीट मिली । पालमपुर में पांचों सीटों पर जीत के बाद राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी को भी सियासी पंख लगे। भाजपा विधायक विशाल नैहरिया के हलके में दो सीटों में से एक कांग्रेस और एक निर्दलीय ने जीत ली। ज्वालाजी में भाजपा नेता पवन राणा और रमेश धवाला की अंदरूनी लड़ाई चुनाव परिणाम में भारी दिखी । यहां तीन में से दो पर कांग्रेस और एक पर आजाद ने कब्जा जमाया। भाजपा की यहां झोली खाली रह गई।

जवाली में कांग्रेस और भाजपा को दो-दो बराबर सीटें मिलीं। फतेहपुर में 5 में से 3 सीटें निर्दलीयों ने जीतीं। भाजपा के खाते में दो सीटें आईं । कांगड़ा में कांग्रेस विधायक पवन काजल को बड़ा सियासी नुकसान हुआ यहां चारों ही सीटें भाजपा के खाते में गईं। इंदौरा में भाजपा को करारा झटका लगा। यहां चार में से 3 सीटें कांग्रेस ने जीत लीं। भाजपा के खाते में सिर्फ एक सीट आई। लेकिन, इस एक सीट ने भाजपा से ज्यादा सियासी रूप से हाशिये पर चल रहे भाजपा नेता रणवीर सिंह निक्का को संजीवनी दी।

उनके समर्थक राहुल पठानिया डमटाल से जीत गए। कांग्रेस के पूर्व मंत्री जीएस बाली को जिला परिषद के चुनाव परिणाम में संजीवनी मिली। नगरोटा बगवां की 3 में से दो सीटें कांग्रेस के खाते में आ गईं। विधायक अरुण कूका को यहां सियासी नुकसान हुआ। बैजनाथ में भाजपा को दो और दो सीटें निर्दलियों के खाते में गईं। लिहाजा ये सब रिपोर्ट मीडिया के हवाले से हैं। कई नेताओं ने इस चुनावों में अपने पक्ष बदले और कईयों के जबरन बदल दिए गए। लिहाजा इसमें सही आंकड़ा आना अभी भी बाकी है।