पी.चंद, शिमला।
हिमाचल प्रदेश में गर्मी के मौसम के साथ सियासत भी गरमाने लगी है। 2022 विधानसभा चुनाव के सिंहासन तक पहुंचने की कबायद जोरों पर है। वैसे तो हिमाचल प्रदेश में दो दलों का वर्चस्व रहा है। हर पांच साल बाद सत्ता बदलती रही है। पांच साल कांग्रेस तो पांच साल भाजपा सत्ता पर काबिज़ रही है। लेकिन इन चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) दम खम के साथ उतर रही है। उसकी वजह AAP को पंजाब में मिली प्रचंड जीत है। हालांकि AAP अभी तक बिना दूल्हे के बारात जैसी है। बावजूद इसके केजरीवाल मुख्यमंत्री के गृह जिले मंडी और कांगड़ा में दो बार चुनावी ताल ठोक चुके हैं। इसलिए कांग्रेस भाजपा दोनों ही AAP से डरी जरूर हुई हैं। AAP जनता का साथ मांग रही है। इसलिए इस बार हिमाचल में मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
कांग्रेस पार्टी में उठापटक होना कोई नई बात नहीं है। कुलदीप राठौर को अध्यक्ष पद से हटाकर कांग्रेस पार्टी ने हिमाचल के छः बार मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को कमान सौंपी दी है। एक बार फ़िर सत्ता की चाबी हॉली लॉज के हाथ सौंप दी गई है। प्रतिभा सिंह को कांग्रेस की कमान मिलने के बाद हॉली लॉज के सिपहसालार फ़िर से सक्रिय हो गए हैं। क्योंकि हॉली लॉज से बफादारी निभाने का भी यही वक़्त है। वीरभद्र सिंह के रहते भी कांग्रेस में सत्ता का केंद्र हॉली लॉज ही रहा है। भले ही भाजपा के मुकाबले कांग्रेस प्रचार प्रसार में अभी पिछड़ी हुई है। बावजूद इसके सरकार के प्रति लोगों की नाराज़गी को आधार बनाकर कांग्रेस सत्ता के सपने देख रही है। दूसरा चार उपचुनाव में कांग्रेस को मिली जीत भी कांग्रेस के हौसलें बढ़ाये हुए है।
उधर, भाजपा को ये डर जरूर है कि हिमाचल में हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन होता है। लेकिन भाजपा का आत्मबल कमज़ोर नहीं है। क्योंकि भाजपा ने चुनाव की तैयारियां पूरी तरह से शुरू कर दी हैं। केंद्र से रणनीतिकार शिमला डेरा जमा चुके हैं। हर सीट पर सर्वे हो रहा है। भाजपा के पास धन बल की कमी नहीं है। उधर, कांग्रेस इसमें भी पीछे है। भाजपा उत्तराखंड में सरकार रिपीट होने से भी गदगद है ओर उसी तरह के चौंकाने वाले नतीज़ों की उम्मीद लगाए बैठी है। मुख्यमंत्री दिल्ली से लेकर प्रदेश के तूफ़ानी दौरों में व्यस्त हैं। उसकी वजह ये भी है कि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष उन्हें चुनावों के लिए चेहरा बना गए हैं। ऐसे में भाजपा का आत्मविश्वास लाज़मी भी है।
ऐसा भी नहीं है कि हिमाचल के लोग भाजपा के कामकाज से संतुष्ट हैं। लेकिन कांग्रेस के भीतर की गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है। कांग्रेस में मुख्यमंत्री के नामों की लंबी फेहरिस्त है भले ही मुख्यमंत्री के दाबेदार अपनी जीत के प्रति आश्वस्त न हों। दल चाहे जो उम्मीद रखे लेकिन सत्ता तक पहुंचाने की चावी जनता के पास है और हिमाचल की जनता भोली भाली जरूर है लेकिन मतदान पूरी समझदारी से करती है। जनता सरकार के फ़ैसले जैसे भी रहें हों उन पर ज्यादा होहल्ला भी नहीं करती है सिर्फ़ चुनावों में सरकार को जबाब देती है। अब देखना यही होगा कि नगर निगम शिमला सत्ता के सेमीफाइनल में जनता किसको चुनती है और 2022 में सत्ता की चाबी किसके हाथ सौंपती है।