<p>दोस्तो! उस दिन पता नहीं किसने यह अफवाह फैला दी कि हिमाचल प्रदेश के परिवहन मंत्री जीएस बाली समाजवादी पार्टी में जा सकते हैं। यही नहीं सबूत के तौर पर अमुक आदमी ने तो <strong>जीएस बाली </strong>के साइकिल चलाते हुए पिक भी फेसबुक पर अपलोड कर दिए। चुनावी माहौल है, कयासों का बाज़ार भी गर्म है…ऐसे में यह अफवाह <strong>राजनीतिक 'चुगलखोरों' </strong>के दरबार में काफी देर तक चर्चा में रहा। एक <strong>फर्जी सूत्र</strong> ने तो मुझे यहां तक बताया कि इस कयास से बीजेपी को गहरा सदमा लगा है। वहीं, कांग्रेस का एक धड़ा उस अदालत को खोज रहा है, जहां बेवफाई का मुकद्दमा दर्ज होता है।</p>
<p>अब तक तो राजनीतिक गलियारों के <strong>वैल्ले कयासबाज़</strong> कंबख़्त यही चर्चा कर रहे थे कि जीएस बाली बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। ऊपर से अब नया ट्विस्ट आ गया कि जनाब 'पंजे' की ताकत साइकिल की सवारी में झोंक दी है। बाली ग्रुप के एक अति-उत्साहित कार्यकर्ता ने तो यहां तक ताल ठोक दी कि जनाब चाहेंगे तो नई पार्टी भी बना लेंगे। नगरोटा बगवां विधानसभा क्षेत्र बीजेपी हो या कांग्रेस तीसरी पार्टी जीएस बाली ही हैं!!!! हालांकि, उस कार्यकर्ता की बातों से प्रभावित होकर 'जीएस बाली ग्रुप' स्लोगन बनाने जा रहा है। ठीक उसी तरह जैसे किसी ने कहा ''काम किया है काम करेंगे, झूठे वादे नहीं करेंगे" और यह नारा सभी प्रतिष्ठानों का प्रचार माध्यम बन गया।</p>
<p>खैर, इस अफवाह से दो शख्स काफी गदगद हैं। वो हैं मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव। राजनीतिक गर्दिश के दौर में उन्हें किसी का साथ तो मिल रहा है…वह भी हिमाचल प्रदेश में। सुनने में आया है कि साइकिल की सवारी देख पिता-पुत्र की जोड़ी बाली साहब को लगातार फोन पर फोन किए जा रही है…।</p>
<p>वैसे जब इतने क़यास लग रहे हैं तो लगे हाथ आपका नेक बंदा <strong>'टींकू फर्जीवाल'</strong> ने भी एक क़यास की खोज कर ली है। सभी जानते हैं कि जीएस बाली पूंजीपति हैं। एक कैंपिटलिस्ट इंटरप्रेन्योर हैं। लेकिन, अंदर की बात ये है कि वह भीतर से एक खूंखार सोशलिस्ट आदमी हैं। उनकी भाषणों में कभी भी पूंजिपतियों का जिक्र नहीं बल्कि 'सर्वहारा वर्ग' के संघर्ष का ख़ास जिक्र रहता है। याद करिए नगरोटा बगवां की रैली जब प्रदेश प्रभारी शिंदे की मौजूदगी में उन्होंने <strong>रंक से राजा और राजा से रंक</strong> की चुनौती दी थी।</p>
<p>अब एक दिन की बात है, शिमला के रिज़ पर कांगड़ा के एक कम्युनिस्ट कार्यकर्ता अपने इलाकों के छात्रों को ज्ञान बांच रहे थे। कॉमरेड बोल रहे थे, <span style=”color:#c0392b”><strong><em>" साहब! दे सपने च अज्जे ते 22 साल पैले लेनिन कन्ने मार्क्स आयो थे। मार्क्से ताना कसदिया बरी बोल्या ,ओ मुर्खा! दुनिया दे सारे पैसे आलें इक्को दे होंदे कन्नै दुनिया दे सारे ग़रीब इक्को दे हौंदे। लेनिने उना यों महान क्रांतिकारी 'चे ग्वेरे' दी किताब 'मोटर साइकिल डायरी' पढ़ने बोल्या। जिस च अमीर 'चे ग्वेरा' सब कुछ छड्डी के गरीबा वास्ते हथियार चुक्की लेंदा। कन्नै क्यूबा जो जुल्मी तानाशाह ते आज़ाद कराई लेंदा। साथियो! साहब ने क्रांतिकारी 'चे 'की मोटरसाइकिल डायरी पढ़ी और उसी दौरान लग्जरी-लाइफ का परित्याग कर गरीबों के संघर्ष में जुड़ गए।"</em></strong></span></p>
<p>रिज पर बीसी कर रहे कॉमरेड की बातें ऐसी थीं कि वहां मौजूद प्राणियों में महज 2 फीसदी ही समझ पा रहे थे। वर्ना आप लोगों की तरह ही बाकी सिर के ऊपर से सारी बातें जा रही थीं। लेकिन, इस बात से एक और कयास लगा… (कयास ही तो है, लगाने में क्या जाता है) कि रिज़ वाले कॉमरेड के भाषण के बाद सीपीएम को जीएस बाली खटकने लगे। आनन-फानन में पॉलित ब्यूरो की बैठक बुला ली गई। सारे कॉमरेड इस बात पर चिंतित थे कि <strong>सर्वहारा, पिजेंट्री, मार्क्स, लेनिन, चे ग्वेरा, कंस्ट्रक्टलिज्म, एग्जिस्टेंसलिज्म जैसे टफ़ और जीभ को थका देने वाले </strong>शब्द तो उनके कॉपीराइट हैं। कंबख्त इनका सेंटीमेंट बाली केसाथ कैसे जुड़ सकता है।</p>
<p>एक और फर्ज़ी सूत्र ने बताया है कि पोलित ब्योरो में बहुमत से यह फैसला किया गया है कि जीएस बाली पर कॉपीराइट का उल्लंघन का केस नहीं बल्कि उन्हें पॉलित ब्यूरो का ही हिस्सा बना लिया जाए। कयास यहां तक है कि बाली को देखते हुए कम्युनिस्ट पार्टियां अपने पार्टी कॉन्स्टीट्यूशन में संशोधन तक करने जा रही हैं।</p>
<p>हालांकि, जीएस बाली से इस बाबत सवाल जवाब किया गया तो वह इन दिनों एक ही बात बोल रहे हैं..<strong>.रंक को राजा बनने में वक्त नहीं लगता…और राजा को रंक बनने में टाइम नहीं लगता। </strong></p>
<p>ठहरिए! अगर आप सोच रहे हैं कि हमारा फर्ज़ी सूत्र कुछ और जानकारी दिया है…तो आप सही हैं। लेकिन, फिलहाल के लिए इतना ही। बाल-बच्चे वाला आदमी हूं भाई, मुझे अपना काम धंधा करने दो। तभी दो-चार पैसे आएंगे। आप लोग भी अपना काम-धंधा करो। चुनाव है तो इसका मतलब नहीं कि कॉलेज में और दफ्तर में बैठ गप्पे मारो। कंबख़्त बॉस वैसे ही आपकी बजाने पर (बैंड) तुला रहता है। टींकू फर्जीवाल की कलम यहीं विराम देने जा रही है। नमस्कार, सत्तश्री आकाल…खुदा हाफिज़…बाय…।</p>
<p>नोट: बाली के साइकिल चलाने पर कांग्रेस के भीतर कोई बड़ी सुगबुगाहट नहीं है… इस बारे में 'टींकू फर्जीवाल' को शुद्ध देसी सूत्रों ने बताया है कि राहुल गांधी जब से नॉर्वे से लौटकर आए हैं एक ही बात बोल रहे हैं। यह कांग्रेस है सब जानती है…यह कांग्रेस हैssss..</p>
<p><strong>(विशेष: उपरोक्त लेख एक मज़ाक है। यह किसी की छवि धूमिल या भावनाओं को चोट पहुंचाने के उद्देश्य से नहीं लिखा गया है।) </strong></p>
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