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शिमला: हंगामा विधानसभा में बरपा और अब तमाशा सड़कों पर

पी. चंद |

सियासत भी क्या-क्या रंग बदलती है इसका अंदाज़ निराला है, नाम बदनाम है। अब तो बदनाम सियासत के मंदिर भी होने लगे हैं। राजनीति राज करने की नीति है राज में रहने या पाने के लिए किसी भी हद तक जाया जा सकता है। जिसका ताज़ा उदाहरण शिमला में विधानसभा में देखने को मिला। जो कुछ हुआ वह पूरे देश ने देखा। लोगों ने अपने-अपने ढंग से इस हंगामे का मतलब निकाला।

दोनों दल जिन्होंने हंगामा विधानसभा में किया अब सड़कों पर विरोध का तमाशा कर रहे हैं। नैतिक मूल्यों की दुहाई देने वाले देवभूमि के नेता जीवन मूल्यों से दूर हैं। सत्ता के लिए नेता किस हद तक जा सकते है इसका कोई पैमाना नहीं है। हां जनता के सरोकार की दुहाई देने वाले नेता ही जब लोकतंत्र के मंदिर में आपस में ही उलझ पड़ें तो जनता तो फ़िर राम भरोसे ही है।

अब भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सड़कों पर हैं और एक दूसरे को कसूरवार ठहराने में लगे हैं। जनता थुथु कर रही है। प्रदेश कर्ज़ के तले दबे जा रहा है। विधानसभा बजट सत्र के पहले ही दिन हंगामा हो गया है। अब देखना है कि 5 सदस्यों के बिना सत्र में कांग्रेस क्या रणनीति अपनाती है। दूसरी तरफ विकास के दावे करने वाली कर्ज़ में डूबी सरकार सरकार बजट में क्या देती है?