श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने पद से इस्तीफा दे दिया है. राजधानी कोलंबो में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच महिंदा राजपक्षे ने यह निर्णय किया है. श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे द्वारा दूसरी बार आपातकाल लागू किए जाने के बाद देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. सोमवार को राष्ट्रपति भवन के बाहर धरना दे रहे प्रदर्शनकारियों पर सरकार के समर्थकों ने हमला बोला था. इससे पहले दिन में भारी आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका की राजधानी में पुलिस ने कर्फ्यू लगा दिया गया था.
श्रीलंकाई अधिकारियों ने सोमवार को पूरे देश में कर्फ्यू लागू कर दिया है. कम से कम दो कैबिनेट मंत्रियों ने भी अपने इस्तीफे की घोषणा की है. प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को अपना त्याग पत्र भेजा है. उल्लेखनीय है कि वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद श्रीलंका अब तक के सबसे गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। यह संकट मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा की कमी के कारण पैदा हुआ जिसका अर्थ है कि देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है. 9 अप्रैल से पूरे श्रीलंका में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं, क्योंकि सरकार के पास आयात के लिए धनराशि खत्म हो गई है. आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं.
सोमवार को सरकार के समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई झड़पों के बाद यह कर्फ्यू लगाया गया. विरोध प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे थे. इन झड़पों में कम से कम 20 घायल हुए हैं. अधिकारियों के हवाले से AFP ने बताया कि कहना है कि राजपक्षे के समर्थकों ने डंडों और छड़ियों के साथ 9 अप्रेल से राष्ट्रपति के भवन के बाहर कैंप लगा कर बैठे निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर हमला बोल दिया.
इससे पहले शनिवार को खबर आई थी कि आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में लागू हुए आपातकाल के बीच प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे इस्तीफा दे सकते हैं. सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की उस अनुरोध पर सकारात्मक रुख अख्तियार किया था, जिसमें उनसे राष्ट्र में गहरा रही आर्थिक संकट के बीच इस्तीफे की मांग की गई थी. साथ ही राष्ट्र में आपातकाल लागू करने को भी उन्होंने सही माना था.
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