मुख्यमंत्री के हमीरपुर दौरे पर पूरे राज्य की नजर थी । विशेष कर राजनीतिक पंडित इस दौरे के जरिये अपने आंकलनों को ओर पुख्ता करने के इंतजार में थे । सीएम की हमीरपुर दौरे की बात करें तो जो अपेक्षित था, हुआ वही । भाषणों के माध्यम से ही सही लेकिन एक दूसरे को राजनीतिक कद का एहसास करवाने से न जयराम चूके और न ही अनुराग । राजनीति के दो धुरंधर कभी साथ नहीं हो सकते । इस बात पर कई मिसाल दी जा सकती है । प्रदेश में शांता और धूमल का इतिहास देख लें । कांग्रेस में वीरभद्र सिंह और ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का इतिहास देखें। उसी तरह अब एक नई कड़ी हिमाचल प्रदेश में धीरे-धीरे जुड़ने लगी है जिसमें एक तरफ अनुराग ठाकुर हैं और दूसरी तरफ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर खड़े नजर आ रहे हैं ।
आज अनुराग ठाकुर ने अपने भाषण में जब कहा कि मुख्यमंत्री जी आपको 5 साल के लिए मुख्यमंत्री बनाया है और इस दौरान जो पूर्व भाजपा कार्यकाल में कार्यों की घोषणा और शिलान्यास हुए थे। लेकिन कांग्रेस सरकार ने उन कामों को नहीं किया आप उन सभी कामों को अपने इस कार्यकाल में कम से कम पूरा करवा दें। अनुराग ठाकुर का यह बयान अपने आप में ही राजनीतिक चर्चा पैदा करने वाला था। क्योंकि एक तरफ जहां उन्होंने मुख्यमंत्री को 5 साल का मुख्यमंत्री बताया तो वहीं दूसरी तरफ उन्होंने नए कामों को शुरू करने की बात नहीं कही। अनुराग ने कहा कि आप उन कामों को ही पूरा कर दें जो हमने या दोनों सरकार के समय शुरू हुए थे। इसके अलावा अनुराग ठाकुर ने अपने भाषण में केंद्र सरकार से पूरा सहयोग करने की बात भी जयराम ठाकुर के साथ की।
वहीं, जब जयराम ठाकुर का भाषण शुरू हुआ तो वह भी कहां मानने वाले थे उन्होंने भी अपने भाषण के माध्यम से अनुराग ठाकुर के सभी प्रश्नों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार में अब समय नहीं रहा है कि जाए गए और पैसा लेकर आ गए अब समय बदल गया है। अब हमें पूरी योजना जिस कार्य के लिए पैसा चाहिए उसके लिए प्रोजेक्ट पड़ता है और उसके बाद ही वित्त मंत्रालय और योजना आयोग से मंजूरी मिलती है और तभी वह पैसा मिलता है। उन्होंने बताया कि आसानी से पैसा मिलना आसान नहीं रहा है।
इसके साथ उन्होंने अलग-अलग चल रहे कार्यों को लेकर कहा कि हमने हमेशा वही कार्य शुरू किए हैं जो कार्य हम करवा सकते हों और जिन कार्यों के लिए हमने बजट मुहैया करवाया हो अन्यथा हमनें किसी भी कार्य को शुरू नहीं किया । बेशक जयराम ठाकुर कहीं ना कहीं इसके लिए कांग्रेस सरकार का नाम ले रहे थे लेकिन निशाना उनका अपने इस भाषण में कहीं और ही नजर आ रहा था। तो इस तरह से हमीर उत्सव में जनसभा भी राजनीतिक चर्चा का विषय बन गई और एक बार फिर दोनों ही राजनीति के एक दूसरे के खिलाफ खड़े सीधे तौर पर तो नहीं लेकिन भाषणों के माध्यम से नजर आए।