<p>कांगड़ा जिला प्रदेश की राजनीति में सबसे अहम भूमिका निभाता है। कांगड़ा जिला में प्रदेश सरकार के 3 मंत्री और एक विधानसभा अध्यक्ष है। जिनके बैठने के लिए प्रदेश की दूसरी राजधानी धर्मशाला में सचिवालय बनाया गया है ताकि लोगों को अपनी समस्याएं लेकर शिमला ना जाना पड़े। सरकार ने यह सचिवालय इस लिए बनाया है कि मंत्री यहां बैठें ओर लोगों की समस्याओ का समाधान करें। लेकिन मंत्री बनने के बाद मात्र एक ही मंत्री ने अभी तक सचिवालय के दरवाजे जनता के लिए खोले हैं।</p>
<p>आपको बता दें कि शाहपुर विधानसभा क्षेत्र से मंत्री सरवीण चौधरी, जसवा परागपुर से मंत्री विक्रम ठाकुर और नूरपुर से मंत्री राकेश पठानिया के साथ पालमपुर के सुलाह से विपिन परमार सरकार में विधानसभा अध्यक्ष हैं। राकेश पठानिया ने हालांकि सचिवालय में 2 से 3 बार बैठकर लोगों की समस्याओं को जरूर सुना है। लेकिन विक्रम सिंह ठाकुर और सरवीण चौधरी का न ही सचिवालय में कोई कमरा है और न ही उन्होंने कभी सचिवालय में आकर जनता की समस्याओं को सुना है।</p>
<p>इस बारे में समाजिक एवं न्याय अधिकारिता मंत्री सरवीण चौधरी का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है कि उनका कमरा धर्मशाला सचिवालय में है या नहीं। जब उन्हें चाहिए होगा तो मिल जाएगा वे लोकल हैं। वहीं, परिवहन मंत्री विक्रम सिंह ठाकुर से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फ़ोन बंद था ।</p>
<p>अब ऐसे में सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठता है कि सरकार किस तरीके से प्रदेश में काम कर रही है। जब सरकार के दो मंत्री अपने ही जिले में जनता की समस्याओं को सुनने तक का समय नहीं निकाल पा रहे हैं तो वे प्रदेश में कैसा कार्य कर रहे होंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। </p>
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