<p>हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रमादित्य के खुद ही टिकट के लाले पड़ हुए हैं। हालांकि, उनके पिता मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने साफ कर दिया है कि विक्रमादित्य का टिकट फाइनल है और वह शिमला ग्रामीण से चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन, विक्रमादित्य को टिकट मिलने पर जो असमंजस कायम रहा है वह उनके पिछले दावों पर प्रश्नचिन्ह भी खड़ा करता है। </p>
<p>याद हो कि विक्रमादित्या ने हमीरपुर समेत कई इलाकों में टिकट बांटने तक का दावा किया था। लेकिन, वक़्त-वक़्त की बात है कि आज हाईकमान के सामने कई दिनों से वह टिकट की लाइन में लगे हैं।</p>
<p>राजनीति में किसी स्तर की सत्ता स्थिर नहीं रहती है। वर्तमान में जो राजनीतिक परिस्थितियों तैयार हुई हैं वह विक्रमादित्य के लिए बेहद चुनौतियों से भरी हुई हैं। सत्ता के केंद्र में हर नज़रे पहले विक्रमादित्य की ओर से होकर गुजरती थीं। लेकिन, हाईकमान ने इस पर भी पानी फेर दिया है। कार्यकर्ताओं को भी यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि टिकट का फाइनल अधिकार संगठन के वरिष्ठ नेताओं और हाईकमान के पास ही सुरक्षित है।</p>
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