पूर्व मुख्यमंत्री ने लोकसभा चुनाव को लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी है। वीरभद्र सिंह ने कहा है कि इस बार वह न खुद और न ही उनके परिवार से कोई सदस्य लोकसभा चुनाव लड़ेगा। उन्होंने कहा कि मेरा मंडी लोकसभा क्षेत्र चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है। हालांकि लोकसभा क्षेत्र से बहुत से लोग मेरे पास आकर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं। अब मैं आराम करना चाहता हूं इसलिए मंडी लोकसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में नहीं आऊंगा सिर्फ पार्टी को सशक्त करने के लिए ही काम करूंगा।
वहीं उन्होंने विक्रमादित्य को लेकर भी स्थिति स्पष्ट की है। वीरभद्र सिंह ने कहा कि विक्रमादित्य का भी चुनाव मैदान में आने का अभी तक कोई इरादा नहीं है। कांग्रेस पार्टी के पास मंडी लोकसभा क्षेत्र में और भी अच्छे विकल्प हैं उनको भी टिकट दिया जा सकता है।
प्रदेश अध्यक्ष को बदले जाने की प्रक्रिया को लेकर उन्होंने कहा कि इतने लंबे समय तक प्रदेशाध्यक्ष नहीं रहने चाहिए। प्रदेश अध्यक्ष हमेशा चुनकर आना चाहिए और वही प्रदेश अध्यक्ष हमेशा कामयाब रहते हैं, जैसे मैं खुद चुनकर प्रदेश अध्यक्ष बना था। वीरभद्र सिंह ने नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि अभी तो सब कुछ ठीक है आगे-आगे देखते हैं होता है क्या।
इन सब के बीच मंडी लोकसभा क्षेत्र से यह भी कह सकते हैं की वीरभद्र सिंह ने बीजेपी को एक बड़ी राहत यह कह कर दे दी है कि वह चुनावी मैदान में नहीं आने वाले हैं। क्योंकि राजनीतिक गणित और मंडी का इतिहास यही कहता है कि या तो वीरभद्र सिंह के परिवार से कोई यहां बीजेपी को टक्कर दे सकता है या फिर पंडित सुखराम के परिवार से। लेकिन अब जैसा कि वीरभद्र सिंह ने यहां पर चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है, वहीं पंडित सुखराम का परिवार आज खुद बीजेपी में है। वीरभद्र सिंह की इस घोषणा के साथ ही बीजेपी का रास्ता अब आसान होता नजर आ रहा है।