हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) पर जयराम सरकार की मेहरबानी से पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह खफा हैं। उन्होंने बीजेपी सरकार के उस फैसले की आलोचना की है, जिसमें सरकार ने एचपीसीए के खिलाफ केस वापिस लेने के संकेत दिए हैं।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि न्यायालय की अनुमति के बिना ऐसे मामलों को वापस नहीं लिया जा सकता। उन्होंने कहा कि सरकार को जल्दबाजी एवं किसी दबाव में निर्णय लेने से बचना चाहिए। वीरभद्र सिंह ने यहां जारी बयान में कहा कि उच्चतम न्यायालय और राज्य के न्यायालय में एचपीसीए को लेकर मामले पहले ही लंबित हैं। क्रिमिनल कोर्ट ने भी इसका संज्ञान लिया है, ऐसे में वर्तमान सरकार को न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा करनी चाहिए।
एचपीसीए की लीज राशि को लेकर जल्दबाजी में लिया निर्णय
उन्होंने आरोप लगाया कि एचपीसीए की लीज राशि को लेकर जल्दबाजी में राजनीतिक आधार पर निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि कानून को अपना काम करने देना चाहिए, ताकि न्याय मिल सके और दोषी पाए जाने पर आरोपियों को दंडित किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस तरह के निर्णय लेने से पहले सरकार को सार्वजनिक हितों को ध्यान में रखना चाहिए और मामले वापस लेने से पहले अपने निर्णय पर पुन:विचार करना चाहिए।