आप सब जानते हैं कि देश में 18 जुलाई को राष्ट्रपति के चुनाव होने वाले है और इन चुनावो के बाद 6 अगस्त को उपराष्टपति के चुनाव होने जा रहे है. जिसके लिए NDA के द्वारा उपराष्ट्रपति चुनाव पर अपने उम्मीदवार की घोषणा करने के एक दिन बाद अब विपक्ष ने भी अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. आपको बता दें कि NDA भारत में एक राजनीतिक गठबन्धन है जिसका नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी करती है. विपक्ष की पार्टी कांग्रेस की तरफ से माग्रेट अल्वा उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ने जा रही हैं. वर्तमान उपराष्ट्रपति वैंकया नायडू का कार्यकाल 11 अगस्त को खत्म हो रहा है और उपराष्ट्रपति चुनाव के चुनाव 6 अगस्त को समपन्न होंगे. रविवार को हुई मीटिंग के बाद मार्गरेट के नाम की घोषणा एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने एक पत्रकार वार्ता के दौरान की हैं. चलिए जानते हैं कि इन चुनावों में विपक्ष कि मार्गरेट उम्मीदवार अल्वा कौन हैं?
आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी की महासचिव रहने और तेजस्वी सांसद के रूप में पाँच पारियाँ (1974से 2004) खेल चुकने के साथ-साथ वे केन्द्र सरकार में चार बार महत्वपूर्ण महकमों की राज्यमंत्री रहीं. एक सांसद के रूप में उन्होंने महिला-कल्याण के कई कानून पास कराने में अपनी अहम भूमिका अदा की. महिला सशक्तिकरण संबंधी नीतियों का ब्लू प्रिन्ट बनाने और उसे केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा स्वीकार कराये जाने की प्रक्रिया में उनका मूल्यवान योगदान रहा. केवल देश में में ही नहीं, समुद्र पार भी उन्होंने मानव-स्वतन्त्रता और महिला-हितों के अनुष्ठानों में अपनी बौद्धिक आहुति दी. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने तो उन्हें वहाँ के स्वाधीनता संग्राम में रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने में अपना समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय सम्मान भी प्रदान किया. वह संसद की अनेक समितियों में रहने के साथ-साथ राज्य सभा के सभापति के पैनल में भी रहीं.
सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में किसी महिला की ओर से किए गए अहम योगदान के लिए 2012 में उन्हें मर्सी रवि अवॉर्ड प्रदान किया गया था.नवम्बर 2008 में उन्होंने जब अपनी पार्टी पर ही कांग्रेस सीटों के लिए टिकिटों के क्रय-विक्रय का आरोप लगाया, तो उन्हें अपनी स्पष्टवादिता की भारी कीमत चुकानी पड़ी और कांग्रेस पार्टी की महासचिव के पद से तथा सैन्ट्रल इलैक्शन कमेटी और महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा तथा मिजोरम राज्यों के लिए कांग्रेस पार्टी की प्रभारी पद से भी मुक्त होना पड़ा
आइए अब जाने मार्गरेट को कौन-कौन से मंत्री पद दिए गए थे. UPA सरकार में वह कैबिनेट मंत्री का पद भी संभाल चुकी हैं. साल 1984 की राजीव गाँधी की सरकार में श्रीमती अल्वा को संसदीय मामलों का केंद्रीय राज्य मंत्री पद सौंपा गया था. कार्यकाल समाप्त होने पर उन्हें बाद में मानव संसाधन विकास मंत्रालय में युवा मामले तथा खेल, महिला एवं बाल विकास के प्रभारी मंत्री का दायित्व सौंपा गया. साल 1999 में लोक सभा के लिए निर्वाचित होने से पहले श्रीमती मार्ग्रेट अल्वा 1974 को निरंतर चार बार छः वर्ष की अवधि के लिए राज्य सभा के लिए निर्वाचित किया गया था. साल 1991 में अल्वा को कार्मिक, पेंशन, जन परिवेदना तथा प्रशासनिक सुधार की केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया था. अपने कार्यकाल के समय में उन्होंने कुछ समय के लिए विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री के रूप में भी सेवाएँ दीं.
मंत्री होने के साथ-साथ अल्वा राजयपाल भी रह चुकी है. वह चार राज्यों की राजयपाल रह चुकी हैं. बता दें, UPA की ओर से उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ने जा रहीं माग्रेट अल्वा गुजरात, राजस्थान, उत्तराखंड और गोवा राज्यों की राज्यपाल रह चुकी हैं. मार्गरेट ने 6 अगस्त 2009 से 14 मई 2012 तक उत्तराखंड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में पद संभाला. मार्गरेट भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक वरिष्ठ सदस्य और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की आम सचिव भी हैं. उन्हें मर्सी रवि अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है.
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