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बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती, दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन?

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  • प्रवेश वर्मा, मनोज तिवारी, और मनजिंदर सिंह सिरसा प्रमुख दावेदार, जातीय और क्षेत्रीय समीकरण अहम।
  • स्मृति ईरानी, विजेंद्र गुप्ता, मोहन सिंह बिष्ट, और वीरेंद्र सचदेवा भी सीएम पद की दौड़ में शामिल।

प्रस्‍तुती, अखिलेश 

Delhi CM Race: दिल्ली में 26 साल बाद सत्ता में वापसी करने के बाद भाजपा के सामने अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि मुख्यमंत्री पद के लिए किसे चुना जाए। भाजपा हाईकमान सात प्रमुख नामों पर विचार कर रही है, जिनमें जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखा गया है।

भाजपा नेतृत्व जातीय और क्षेत्रीय संतुलन के साथ-साथ आगामी लोकसभा और बिहार चुनावों को भी ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री का चयन करेगा। पूर्वांचल, जाट, पंजाबी और वैश्य समुदाय के बीच संतुलन साधने की कोशिश की जाएगी। साथ ही, भाजपा हाल के वर्षों में चौंकाने वाले फैसले भी लेती रही है, जिससे किसी नए चेहरे को भी मौका मिल सकता है।

1. प्रवेश सिंह वर्मा: दिल्ली का सबसे बड़ा जाट चेहरा


प्रवेश वर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं। उन्होंने नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल को 4099 वोटों से हराकर बड़ी जीत दर्ज की।
मजबूती:

  • बचपन से संघ से जुड़े रहे हैं, मजबूत हिंदुत्व चेहरा।
  • लोकसभा टिकट नहीं मिलने के बाद भी पार्टी के प्रति निष्ठावान रहे।
  • जाट नेता को सीएम बनाकर भाजपा हरियाणा और किसान आंदोलन की नाराजगी कम कर सकती है।
    कमजोरी:
  • 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान विवादास्पद बयान दिए थे।
  • भाजपा पूर्वांचली वोटर्स को नाराज करने का जोखिम नहीं लेना चाहेगी।

2. मनोज तिवारी: पूर्वांचल का सबसे बड़ा चेहरा


भोजपुरी अभिनेता और सिंगर मनोज तिवारी लगातार तीन बार उत्तर-पूर्वी दिल्ली से लोकसभा सांसद बने।
मजबूती:

  • पूर्वांचल के 30% वोटर्स के बीच बड़ी पकड़।
  • बिहार में आगामी चुनावों को देखते हुए भाजपा पूर्वांचल कार्ड खेल सकती है।
    कमजोरी:
  • संगठन में अपेक्षाकृत कमजोर पकड़।
  • पार्टी किसी नए पूर्वांचली चेहरे को भी तरजीह दे सकती है।

3. मनजिंदर सिंह सिरसा: पंजाबी-सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व


पूर्व अकाली दल नेता, दो बार विधायक रह चुके हैं। 2021 में भाजपा में शामिल हुए और राष्ट्रीय मंत्री बनाए गए।
मजबूती:

  • दिल्ली में सिख समुदाय के बड़े नेता।
  • भाजपा पंजाब में अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है।
    कमजोरी:
  • भाजपा दिल्ली में पारंपरिक पंजाबी वोटर्स को पहले से ही साधे हुए है, नए समीकरणों पर ज्यादा ध्यान दे सकती है।

4. स्मृति ईरानी: भाजपा की महिला और अल्पसंख्यक नेता


अमेठी में राहुल गांधी को हराने वाली नेता, लंबे समय से भाजपा की प्रमुख चेहरा रही हैं।
मजबूती:

  • महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने की भाजपा रणनीति के अनुरूप।
  • भाजपा के पास वर्तमान में कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं है।
    कमजोरी:
  • दिल्ली की राजनीति में प्रत्यक्ष भूमिका नहीं रही है।

5. विजेंद्र गुप्ता: मजबूत संगठनात्मक पकड़ वाले नेता

रोहिणी से तीन बार विधायक, दो बार नेता प्रतिपक्ष रहे।
मजबूती:

  • संघ और संगठन में मजबूत पकड़।
  • भाजपा अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
    कमजोरी:
  • पार्टी कोई नया चेहरा भी तलाश सकती है।

6. मोहन सिंह बिष्ट: छठी बार विधायक बने, पहाड़ी समुदाय का प्रतिनिधित्व


मुस्तफाबाद जैसी मुस्लिम बहुल सीट पर भी भाजपा को जीत दिलाने वाले मजबूत नेता।
मजबूती:

  • छह बार विधायक बनने का अनुभव।
  • संघ और संगठन में अच्छी पकड़।
    कमजोरी:
  • दिल्ली में पहाड़ी समुदाय का बहुत बड़ा वोट बैंक नहीं है।

7. वीरेंद्र सचदेवा: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, मजबूत सांगठनिक पकड़


दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में प्रभावी भूमिका निभाई।
मजबूती:

  • सांगठनिक पकड़ मजबूत।
  • विभिन्न समुदायों के बीच संतुलन बनाने की क्षमता।
    कमजोरी:
  • चुनावी मैदान में अन्य दावेदारों की तुलना में कम लोकप्रिय।