हिमाचल प्रदेश का सोलन जिला राजनीतिक दृष्टी से महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां पर विधानसभा की 5 सीटें है। जिनमें से 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की झोली में 3 जबकि कांग्रेस के खाते 2 सीटें आई थी। सोलन की सीट कांग्रेस ने जीती जहां से कैबिनेट मंत्री धनी राम शांडिल जीतकर विधानसभा पहुंचे। दूसरी सीट कांग्रेस के राम कुमार ने दून की जीती। जबकि बीजेपी के गोविंद शर्मा ने अर्की सीट, कृष्ण ठाकुर ने नालागढ़ सीट और राजीव सैजल ने मात्र 33 वोटों से कसौली सीट पर कब्जा किया था। इस मर्तबा चुनावों में सोलन की जनता का क्या रुख रहता है इसके लिए चुनावी परिणामों का इंतज़ार करना होगा।
सोलन में 3 सीट अनारक्षित है जबकि कसौली और सोलन सीट आरक्षित है। भाजपा इस बार भी चाहेगी की सोलन में उसका आधार बड़े। क्योंकि अर्की भाजपा के पास पिछले दो टर्म से है नालागढ़ भी बीजेपी की पक्की सीट मानी जाती थी लेकिन हरिनारायण सैनी के निधन के बाद बीजेपी का आधार यहां से खिसका, इसके बाबजूद पिछले चुनावों में बीजेपी ने ही ये सीट जीती थी।
रही बात कसौली सीट की तो बीजेपी इस सीट पर जोर आजमाइश में जुटी हुई है कि पिछले बार के 33 वोटों के मार्जन को इस बार बढ़ाया जाए। उधर, सोलन सीट भी राजीव बिन्दल तक बीजेपी का गढ़ रही लेकिन पिछली मर्तबा कांग्रेस के धनी राम शांडिल ने बीजेपी के गढ़ को भेद दिया और जीत कर कैबिनेट मंत्री बने। जबकि दून सीट कांग्रेस के राम कुमार के पास है जिनको 2012 में जीत तो मिली लेकिन ज्योति हत्याकांड मामले में 2 साल तक जेल की हवा भी खानी पड़ी थी।