सोमवार रात को चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। यह चंद्रग्रहण पूर्ण नहीं बल्कि खंडग्रास होगा। रात 10 बजकर 25 मिनट पर चंद्रग्रहण की शुरुआत होगी और इस दौरान चंद्र-उदय होगा। देश के सभी हिस्सों में इस चंद्रग्रहण को देखा जा सकता है। यह ग्रहण लगभग 2 घंटे तक रहेगा और रात के 12 बजकर 48 मिनट पर खत्म हो जाएगा।
हर ग्रहण में एक दोषकाल होता है। दोषकाल वाले समय को 'सूतक' कहा जाता है। सूतक ग्रहण से कुछ घंटे पहले ही शुरू हो जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक चंद्रग्रहण में सूतक 9 घंटे पहले लग जाते हैं और सूर्यग्रहण में 12 घंटे पहले। इसका मतलब यह है कि ग्रहण के इस दोषकाल के शरू होते ही कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।
इस चंद्रग्रहण का सूतक समय दोपहर 1 बजकर 52 मिनट पर शुरू हो रहा है। सूतक के समय भोजन आदि ग्रहण नहीं करना चाहिए और पानी का भी सेवन नहीं करना चाहिए। ग्रहण से पहले ही जिस पात्र में पीने का पानी रखते हों उसमें कुशा और तुलसी के कुछ पत्ते डाल दें। कुशा और तुलसी में ग्रहण के समय पर्यावरण में फैल रहे जीवाणुओं को संग्रहित करने की अद्भुत शक्ति होती है। ग्रहण के बाद पानी को बदल लेना चाहिए।
अनेक वैज्ञानिक शोधों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि ग्रहण के समय मनुष्य की पाचन शक्ति बहुत कमजोर हो जाती है। लिहाजा यदि उनके पेट में दूषित भोजन या पानी चला जाएगा तो उनके बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है।
चंद्र ग्रहण अथवा सूर्य ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की छाया आदि से विशेष रूप से बचना चाहिए। क्योंकि ग्रहण की छाया का कुप्रभाव गर्भ में शिशु पर पड़ने का संशय रहता है। ग्रहण से पहले यदि गर्भवती महिला अपनी साड़ी के पल्लू को गेरू के रंग से रंग ले तो बच्चे पर कुप्रभाव नहीं पड़ता है। इसके अलावा ग्रहण के समय देवपूजा की भी मनाही है। इसी कारण अनेक मंदिरों के कपाट चंद्र या सूर्य ग्रहण के समय बंद कर दिए जाते हैं।