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चैत्र मास के मेलों के लिए सजा दियोटसिद्ध मंदिर, 14 मार्च से होंगे शुरू

नवनीत बत्ता |

उतर भारत का प्रसिद्ध शक्ति पीठ और पूजनीय स्थल दियोटसिद्ध बाबा बालक नाथ के नाम से जाना जाता है। और ये मंदिर हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के चकमोह गांव की पहाड़ी पर स्तिथ है, ऐसी मान्यता है की ये स्थान बाबा जी का आवास स्थान था ,मदिर में बाबा जी की मूर्ति स्तिथ है। हर वर्ष मार्च महीने में जिला प्रसाशन द्वारा मेले आयोजित किये जाते हैं जो पूरा एक महीने तक चलते हैं जिसमें झंडा पूजन कर मेले का शुभारंभ किया जाता है। जिसकी तैयारी जिला प्रसाशन ने पूरी कर ली है और इसके लिए सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम पुलिस प्रशासन ने कर लिए हैं।  

इसलिए कहते हैं दियोटसिद्ध

माना जाता है जब बाबा गुफा मे समादिस्थ थे तो वहां एक दिया जलता था जिसकी रोशनी काफी दूर से नजर आती है। बाबा सिद्ध थे इसलिए इस स्थान का नाम पड़ा दियोटसिद्ध बाबा जो 9 नाथ और 84 सिद्धों की परम्परा से होना माना जाता है। यहां उन्हें बाल योगी के रूप में पूजा जाता है।

बाबा बालक नाथ को माना जाता है शिव का अंशावतार

प्राचीन मान्यता के अनुसार बाबा बालक नाथ को शिव का अंशावतार माना जाता है कुछ भगत बाबा जी को 9 नाथ और 84 सिद्धों की परम्परा में आने बाले बाल योगी के रूप में पूजते हैं। बाबा बालक नाथ जी बाल्य अवस्था में ही अपना घर छोड़ कर चार धाम की यात्रा करते करते शाहतलाई नामक स्थान पर पहुंचे थे।

शाहतलाई में रहने वाली रत्नो माई नामक निसंतान महिला ने बाबा बालक नाथ को अपना धर्म पुत्र बनाया था और बाबा वहां रहकर माई की गऊओं को चराते थे ,12 साल तक माई की गऊएं चराई और एक दिन माता रत्नो के तानों से दुखी होकर माता की दी हुई 12 वर्ष की रोटी और लसी बट वृक्ष में जमा की हुई थी जो अपने चमत्कार से बाबा ने वापिस कर दी।