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जाखू मंदिर: संजीवनी लाने से पहले हनुमान जी ने यहां किया था विश्राम

पी.चंद |

शिमला में स्थित हनुमान जी का जाखू मंदिर हिमाचल प्रदेश के प्राचीनतम मंदिरो में से एक है. जिसका इतिहास द्वापर यानि की रामायण युग से जुड़ा हुआ है. यह मंदिर शिवालिक पहाड़ी श्रृंखला के गगनचुंबी पेड़ों के बीच शिमला का सबसे ऊँचा स्थल है. जाखू मंदिर का उल्लेख कई पौराणिक कथाओं में भी मिलता है.

जाखू मंदिर समुद्र तल से 8,054 फीट की उंचाई पर स्थित हैं. वैसे तो ये मंदिर सदियों से लोगों की आस्था का केंद्र है. लेकिन यहाँ पर बाद में स्थापित की गई हनुमानजी की 108 फीट की मूर्ति सभी के आकर्षण का केंद्र है. जिसको शिमला के सभी हिस्सों से देखा जा सकता है. मंदिर शिमला के रिज से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

इस मंदिर के बारे में पौराणिक कथा है कि लक्ष्मण को पुनर्जीवित करने के लिए संजीवनी बूटी खोजने के लिए जाने से पहले भगवान हनुमान कुछ देर आराम करने के लिए यहाँ रुके थे. कहा जाता है कि लंका में राम- रावण युद्ध के दौरान मेघनाथ के बाण से जब लक्ष्मण मूर्छित हो गए तो वेद के कहने पर उनकी चेतना वापिस लाने के लिए हनुमान जी संजीवनी लाने इसी मार्ग से गए थे और जाखू की पहाड़ी पर उन्होंने विश्राम किया था. ये भी माना जाता है की जाखू की पहाड़ी बहुत ऊँची थी, हनुमानजी संजीवनी बूटी की जानकारी लेने के लिए यहां उतरे थे तब पहाड़ी आधी पृथ्वी में समा गई.

हनुमान जी की इस पहाड़ी में ऋषि याकु से मिलन हुआ. याकु का नाम ही बाद में बदलकर जाखू बन गया. हनुमान द्रोणागिरी पर्वत की ओर आगे बढ़े. उन्होंने वापसी में ऋषि याकू से मिलने का वादा दिया था लेकिन कालनेमि के साथ युद्ध के कारण हनुमानजी अपना वायदा पुरा नही कर पाए. इसके बाद ऋषि याकू ने हनुमान जी के सम्मान में जाखू मंदिर का निर्माण किया था. पौराणिक कथा के अनुसार इस मंदिर को हनुमान जी के पैरों के निशान के पास बनाया गया है. जो आज भी इस मंदिर में स्थित है.

वैसे तो मंदिर जाने के लिए सड़क मार्ग से जाया जाता है. जहाँ के लिए HRTC की टैक्सी की सुविधा है. लेकिन अब यहाँ जाने के लिए केबल ट्रोल्ली भी लगा दी गई है. जिसकी टिकट 200 से, 250 रुपए एक तरफ की है. जाखू मंदिर में दशहरे के मौके पर रावण, मेघनाथ व कुंभकरण के पुतले जलाए जाते हैं. अब जाखू मंदिर में स्थानीय लोगों के साथ -साथ पर्यटकों की भीड़ भी जुटने लगी है.

मंदिर केआस-पास चारों ओर घूमने वाले बंदरों को हनुमान जी का वंशज कहा जाता है. जो काफी शरारती हैं. जाखू मंदिर के दर्शन सुबह 5 बजे से लेकर दिन के 12 बजे तक, और फिर शाम को 4 बजे से रात के 9 बजे तक किए जा सकते हैं. हनुमान मंदिर में मंगलवार , रविवार व शनिवार को भक्तों की भारी भीड़ रहती है. रविवार व हनुमान जयंती पर यहाँ भंडारे का आयोजन किया जाता है.