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इस मंदिर के आगे नतमस्तक हुआ प्रकृति का हर कहर

समाचार फर्स्ट डेस्क |

हिमाचल का एक ऐसा मंदिर जहां कुदरत का हर कहर हो जाता है नतमस्तक। न जाने कितने भूकंप आए, बादल फटे और न जाने क्या क्या प्रकृतिक आपदाएं आईं, लेकिन इस मंदिर के आगे सब हार गईं। एक हजार साल पहले बनाया गया है यह करिश्माई मंदिर की नींव नहीं हिला पाया कोई भी कहर। ये भव्य मंदिर है लक्ष्मीनारायण मंदिर, जो कि हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा में स्थित है।

मंदिर को स्थानीय मौसम को देखते हुए लकड़ी के इस्तेमाल से तोरण द्वार और शिखर बनवाए गए थे। इस मंदिर का निर्माण दसवीं सदी में चंबा शहर को बसाने वाले राजा साहिल वर्मन ने कराया था। कहते हैं कि राजा ने एक नागा साधु के कहने पर मंदिर का निर्माण कराया था। कहते हैं जो इस मंदिर में देवता की शरण में आ जाए वह हर विपत्ति से बच जाता है।

 लक्ष्मीनारायण मंदिर समूह एक वैष्णव मत का मंदिर है। इसे दसवीं सदी में राजा साहिल वर्मन ने बनवाया था। मंदिर को स्थानीय मौसम को देखते हुए लकड़ी के इस्तेमाल से तोरण द्वार और शिखर बनवाए गए थे। विष्णु का वाहन गरुड़ की धातु की बनी प्रतिमा मुख्य द्वार पर सुशोभित हो रही है। 1678 में राजा चतर सिंह ने मुख्य मंदिर में सोने के आवरण चढ़वाया। मंदिर परिसर काफी भव्य और मनोरम है।

मंदिर की खासियत है कि यह एक तरफ झुका हुआ है। मंदिर आखिरकार एक तरफ झुका क्यों है, इस पर भी वैज्ञानिकों ने रिसर्च किया। रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन भूकंपों ने भारत के अनेकों राज्य के साथ-साथ हिमाचल के कई शहर और गांव तबाह कर दिए, वो भूकंप इस तिरछे मंदिर को छू भी नहीं सके हैं। इस मंदिर में देश-विदेश से हर साल हजारों पर्यटक आते हैं। लोगों की इस मंदिर में अटूट श्रद्धा है।