मृत्युंजय पुरी: कल शनिवार 2 अप्रैल से नवरात्र का पावन पर्व शुरू हो रहा है। इसी कड़ी में हम आपको मां ज्वाला की 9 ज्योतियों से जुड़ा एक ऐसा राज बताने जा रहे हैं जिसके बारे में आपने बहुत कम सुना या पढ़ा होगा। जी हां मां ज्वाला के नाम से विश्व विख्यात स्थान ज्वाला जी हिमाचल प्रदेश के शिमला धर्मशाला रास्ते पर पड़ता है। वहां मंदिर के अंदर पहाड़ की चट्टान से कई स्थानों से ज्योतियां बिना दीए-बाती के जलती रहती हैं।
ज्वाला जी की अलौकिक ज्योतियां कभी कम या ज्यादा भी रहती हैं जो अधिक से अधिक 14 और कम से कम 3 होती हैं। मान्यता है कि यह चतुर्दश दुर्गा चौदह भुवनों की रचना करने वाली हैं जिसमें सत्व, रज और तम तीनों गुण पाए जाते हैं। मतलब ये ज्योतियां मिल कर ही इस संसार का निर्माण करती हैं। नव ज्योतियां अलग-अलग सुख प्रदान करने वाली हैं जैसे कि चांदी के जाले में सुशोभित पहली मुख्य ज्योति का पावन नाम महाकाली है, जो मुक्ति-भक्ति देने वाली हैं।
इसके नीचे दूसरी ज्योति भंडार भरने वाली महामाया अन्नपूर्णा की हैं जहां एक ओर शत्रुओं का दमन करने वाली चंडी माता की ज्योति है। तो वहीं दूसरी ओर एक ज्योति हिंगलाज भवानी की है, जो समस्त व्याधियों का नाश करने वाली है। पांचवीं ज्योति की बात करें तो ये शोक से छुटकारा देने वाली विंध्यवासिनी की है। इसी तरह छठी ज्योति धन-धान्य देने वाली महालक्ष्मी की और सातवीं ज्योति भी कुंड में ही विराजमान विद्या दात्री सरस्वती की हैं। आखिर में आठवीं ज्योति संतान सुख देने वाली अंबिका और आयु सुख प्रदान करने वाली 9वीं ज्योती अंजना है।
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