कहा जाता है कि पुरी स्थित मंदिर में स्थित भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में आज भी श्रीकृष्ण का हृदय धड़क रहा है. हर 12 साल में जगन्नाथ की मूर्ति का आवरण बदला जाता है, उस समय पूरे मंदिर में अंधेरा कर दिया जाता है. जो पुजारी आवरण बदलते हैं वे भी आंखों पर पट्टी बांधे रखते हैं. कहा जाता है कि भगवान् कृष्ण ने जब देह छोड़ी तो उनका अंतिम संस्कार किया गया, उस दौरान उनका शरीर तो पांच तत्त्व में मिल गया, लेकिन उनका हृदय जिन्दा आदमी की तरह धड़कता रहा, जो आज तक सुरक्षित है. ये दिल भगवान् जगन्नाथ की काठ की मूर्ति के अंदर रहता है और आज भी उसी तरह धड़कता है. इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं.
महाप्रभु जगन्नाथ पुरी (उड़ीसा) में जग्गनाथ स्वामी अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ निवास करते है. हर 12 साल में महाप्रभु की मूर्ती को बदला जाता है,उस समय पूरे पुरी शहर में ब्लैकआउट किया जाता है. इस दौरान मंदिर परिसर को CRPF की सेना चारो तरफ से घेर लेती है, उस समय कोई भी मंदिर में नही जा सकता.
यहाँ तक कि मंदिर के पुजारी की आँखों मे पट्टी बंधी होती है.पुजारी के हाथ मे दस्ताने होते है..वो पुरानी मूर्ती से “ब्रह्म पदार्थ” निकालता है और नई मूर्ती में डाल देता है. ये ब्रह्म पदार्थ क्या है, जिसका रहस्य आजतक कोई नही जान पाया. नव-कलेवर में ये बदलाव किया जाता है, जो कभी 19 साल बाद तो कभी-कभी 14 साल में आता है. “कुछ पुजारियों का कहना है कि जब हमने उसे हाथ में लिया तो खरगोश जैसा उछल रहा था. आंखों में पट्टी थी, हाथ मे दस्ताने थे तो हम सिर्फ महसूस कर पाए”
आज भी हर साल जगन्नाथ यात्रा के दौरान सोने की झाड़ू से पुरी के राजा खुद झाड़ू लगाने आते है.
जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुजरता,झंडा हमेशा हवा की उल्टी दिशा में लहराता है, दिन में किसी भी समय भगवान जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई नहीं बनती. भगवान जगन्नाथ मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर स्थित झंडे को रोज बदला जाता है, ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा. इसी तरह भगवान जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है, जो हर दिशा से देखने आपकी तरफ नज़र आता है.
भगवान जगन्नाथ मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए मिट्टी के 7 बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं, जिसे लकड़ी की आग से ही पकाया जाता है, इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान पहले पकता है. भगवान जगन्नाथ मंदिर में हर दिन बनने वाला प्रसाद भक्तों के लिए कभी कम नहीं पड़ता, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि जैसे ही मंदिर के पट बंद होते हैं वैसे ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है.