पौष कृष्ण अष्टमी को कालाष्टमी के रूप में मनाया जाता है, जो भगवान काल भैरव की पूजा के लिए अत्यधिक शुभ मानी जाती है। भगवान काल भैरव, भगवान शिव के रौद्र रूप हैं, जो अधर्म का नाश और धर्म की स्थापना करते हैं। उनकी पूजा से संकट, रोग, भय, शत्रु और दोषों का निवारण होता है।
इस दिन प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और भगवान काल भैरव का पूजन करें। पूजास्थल पर उनका चित्र स्थापित करें और गंगाजल, पुष्प, बिल्व पत्र, नैवेद्य अर्पित करें। “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का जाप करें और अंत में आरती करें। भोग में तिल या इमरती चढ़ाएं और काले कुत्ते को भोजन कराएं।
पूजा के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना, मांसाहार से बचना और नकारात्मक विचारों से दूर रहना आवश्यक है। रात्रिकालीन पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। श्रद्धा और भक्ति से भगवान की आराधना करें।
कालाष्टमी के दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।
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