नैना देवी मंदिर के ऐतिहासिक पीपल के पेड़ का अस्तित्व खतरे में, अंदर से हो रहा खोखला

<p>विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी मंदिर के प्राचीन एवं ऐतिहासिक पीपल के पेड़ का अस्तित्व धीरे-धीरे मिटने के कगार पर है। श्रद्धालुओं की अपार श्रद्धा का केंद्र यह पीपल का पेड़ कई महीनों से अंदर से खोखला होता जा रहा है। कहा जा रहा है कि जब से इस पीपल के पेड़ के आसपास संगमरमर लगाया गया है तब से यह समस्या आ रही है लेकिन अभी तक इसकी समस्या का निदान नहीं किया गया है। हालांकि ये प्राचीन भब्य पीपल का पेड़ मंदिर की ऐतिहासिक धरोहर है और जिन्हें बचाना मंदिर न्यास का परम कर्तव्य बनता है। लेकिन विडंबना इस बात की है कि अभी तक इस पेड़ को बचाने के लिए कोई भी व्यापक कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है।</p>

<p>हालांकि समय-समय पर अधिकारियों को इसके बारे में अवगत भी करवाया गया। पिछले श्रावण अष्टमी नवरात्रों के दौरान मेला अधिकारी के रूप में तैनात एडीएम बिलासपुर विनय कुमार को भी इसके बारे में अवगत करवाया गया था। उन्होंने आदेश भी दिए थे कि तुरंत कार्रवाई करते हुए इस पीपल के पेड़ को बचाने के लिए अति शीघ्र उपाय किए जाए। लगभग 3 महीने से जायदा का समय हो चुका है, लेकिन इसे बचाने के लिए अभी तक कोई भी व्यापक कार्रवाई नहीं की गई।</p>

<p>मंदिर में तैनात यह पेड़ काफी प्राचीन है और श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं यह उनकी आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु इस पीपल के पेड़ के ऊपर लाल रंग का धागा बांधता है और मन्नत मांगता है तो उसकी मन्नत माता रानी की कृपा से जल्द पूरी हो जाती है। मन्नत पूरी होने के बाद श्रद्धालु फिर से यहां आकर इस पेड़ के ऊपर बंधा हुआ धागा खोल देते हैं। इसलिए यह पीपल का पेड़ श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है।</p>

<p>पूर्ब बीडीसी सदस्य जोगेन्दर सिंह का कहना है कि इस पवित्र पेड़ के पत्तों पर उन्होंने कई बार मां की ज्योतियों के दर्शन किये हैं, और जिस तरह से यह पेड़ अंदर से खुर रहा है इससे इसका अस्तित्ब खतरे में पड़ गया है। इस पेड़ को बचाने के लिए मंदिर न्यास को जल्द से जल्द व्यापक कार्रवाई अमल में लानी चाहिए ताकि मंदिर की ऐतिहासिक धरोहर को बचाया जा सके।</p>

<p>वहीं इस बारे में मंदिर न्याशी नीलम शर्मा का कहना है कि इस पीपल के पेड़ के आसपास जो संगमरमर लगाया गया है शायद उसी के कारण यह खोखला होता जा रहा है।&nbsp; इसके अलाबा सर्बप्रथम पेड़ों के वैज्ञानिकों की राय भी लेनी चाहिए ताकि हमारे मंदिर की प्राचीन और इतिहासिक धरोहर बच सके। मंदिर न्यास के अध्यक्ष एसडीएम अनिल चौहान ने बताया की इस संधर्ब में नौणी विश्विधायलय को पत्र लिखा गया है। जल्द बहां से प्रोफ़ेसर बुलाये जा रहे हैं।</p>

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