ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक किसी भी शुभ कार्य का मुहूर्त जानने के लिए हमें पंचांग की आवश्यकता होती है. पंचांग के द्वारा ही विभिन्न प्रकार के वार, तिथि, नक्षत्र, करण, योग की जानकारी प्राप्त होती है. इसी पंचांग के अंतर्गत मुहूर्त का ध्यान करते समय हमें पंचक का विशेष ध्यान रखना होता है. क्योंकि पंचक लगने का समय मुहूर्त शास्त्र में अत्यंत महत्तवपूर्ण माना जाता है.
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक पंचक में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. इस बार पंचक 06 अक्तूबर से शुरू होगें और 5 दिनों तक रहेंगे. हिंदू पंचांग के मुताबिक पंचक 06 अक्तूबर सुबह 08 बजकर 26 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन 10 अक्टूबर, सोमवार को शाम 04 बजकर 03 मिनट पर होगा.
पंचक के दौरान जो नक्षत्र होते हैं उनमें कुछ विशेष योगों का निर्माण भी होता है. जैसे कि धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र यात्रा करने, मुंडन कार्य तथा व्यापार आदि शुभ कार्यों के लिए प्रशस्त माने गए हैं.
इसके अलावा उत्तराभाद्रपद नक्षत्र वार के साथ मिलकर सर्वार्थ सिद्धि योग बनाता है. हालांकि हम पंचक को अशुभ की संज्ञा देते हैं लेकिन पंचक के दौरान अन्य शुभ कार्य जैसे कि सगाई समारोह, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जा सकते हैं.
पंचक के दौरान ना किए जाने वाले कार्य इनमें विशेष रूप से दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना वर्जित माना जाता है. इस समय चारपाई बनवाना या बुनवाना अशुभ माना जाता है. या अपना पलंग तैयार करना अशुभ माना जाता है.
यदि आपके घर का निर्माण हो रहा है तो पंचक के समय में घर की छत नहीं बनानी चाहिए या लेंटर नहीं डालवाना चाहिए. ऐसा करने से घर में कलेश और धन की हानि हो सकती है. इसके अलावा पंचक के दौरान लकड़ी, कण्डा या अन्य प्रकार के ईधन का भंडारण नहीं करना चाहिए.
शय्या का निर्माण पंचकों के दौरान नहीं करना चाहिए. वहीं अगर किसी व्यक्ति की पंचकों के दौरान मृत्यु हुई है तो मृतक के शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश के बनाकर रखने की मान्यता है. माना जाता है कि ऐसा करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है.